Respiratory system

श्वसन तन्त्र (Respiratory System)

Biology: Respiratory System


शरीर के अन्दर श्वास के रूप में वायु का निश्श्वसन एवं उत्श्व सन (Inhalation and Exhalation) करने वाले तन्त्र ‘श्वसन-तन्त्र (Respiratory System)’ कहलाते हैं। इसके अन्तर्गत नाम, कण्ठ (Larynx),एपिग्लाटिस (Epiglotis), श्वास नली, श्वसनी और फेफड़े आते हैं। | ये तन्त्र शरीर के भीतर मुख्यतया वायु–मार्ग का कार्य करते हैं।

‘एपिग्लाटिस’ (Epiglotis) भोजन निगलते समय श्वॉस मार्ग को बन्द कर देता है। श्वास नली उपास्थि (Cartilage- लचीली हड्डी) की बनी होती है।

फेफड़े (Lungs- फुफ्फुस) में रूधिर का शुद्धिकरण गैसों के आदान-प्रदान से होता है।

गैसों का आदान-प्रदान वायु कूपिकाओं (Alveoli) के माध्यम से होता है। ऑक्सीजन कूपिकाओं से रक्त में तथा कार्बनडाईऑक्साइड रक्त से कूपिकाओं में प्रवेश करता है। वयस्क मनुष्य के फेफड़ों में 30 से 40 करोड़ वायु कुप्पिकाएं होती हैं।

श्वसन-तंत्र के मुख्य बिंदु (Important Points):

  • मनुष्य में दायां फेफड़ा तीन पिण्डों ( sections (lobes)) में तथा बायां फेफड़ा दो पिण्डों में विभाजित होता है। बायाँ फेफड़ा दाहिने फेफड़े की तुलना में थोड़ा छोटा होता है क्योंकि यह हृदय के साथ छाती के बाईं ओर स्थान साझा करता है।
  • कूपिकाओं में गैसीय आदान-प्रदान की क्रिया विसरण (Diffusion) के द्वारा होती है।
  • एम्फिसेमा (Emphycema) बिमारी का सम्बन्ध फेफड़ों से होता है। ये बिमारी अधिक सिगरेट पीने से होती है जिसमें फेफड़ों की कूपिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और गैसीय आदान-प्रदान की क्रिया प्रभावित होती हैं।
  • फेफड़ों की सुरक्षा हेतु इनके ऊपर प्ल्यूरा (Pleura) नामक झिल्ली का आवरण पाया जाता है।

श्वसन (Respiration):

ग्लूकोज़ के आक्सीकरण के द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को श्वसन | कहा जाता है। श्वसन जीवों में 24 घण्टे चलने वाली क्रिया है। श्वसन के प्रकार : श्वसन के दो प्रकार होते हैं जिन्हें क्रमशः ऑक्सी और अनॉक्सी श्वसन कहा जाता है।

ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration):

  • ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोज का ऑक्सीकरण ऑक्सी श्वसन कहलाता है। ऑक्सी श्वसन की क्रिया में 38 ATP के रूप में ऊर्जा का उत्पादन होता है। 
  • ऑक्सी श्वसन की क्रिया कोशिका के कोशिका द्रव्य और माइटोकॉड्रिया के अन्दर सम्पन्न होती है।
  • कोशिका द्रव्य में ग्लाइकोलिसिस क्रिया के द्वारा ग्लूकोज़ पायरविक अम्ल में तोड़ा जाता है। इस विखण्डन के दौरान 2 ATP के रूप में ऊर्जा का उत्पादन होता है। 
  • ग्लाइकोलिसिस क्रिया को ऑक्सी और अनॉक्सी श्वसन का कॉमन स्टेप माना जाता है।
  • क्रेब्स चक्र की क्रिय मॉइटोकॉड्रिया के अन्दर सम्पन्न होती है। क्रेब्स चक्र के दौरान पायरविक अम्ल कार्बनडाइऑक्साइड और जल में विखण्डित हो जाता है।  इस विखण्डन के दौरान 36 ATP के रूप में ऊर्जा का उत्पादन होता है।
  • पायरविक अम्ल का विखण्डन ऑक्सीजन की उपस्थिति और अनुपस्थिति दोनों में होता है। जब मनुष्य अधिक कार्य करता है तो मांसपेशियों में ऑक्सीजन के अभाव में पायरविक अम्ल का विखण्डन लैक्टिक अम्ल और कार्बन डाइऑक्साइड में हो जाता है। 

अनॉक्सी श्वसन (Anaerobic Respiration):

  • ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्लूकोज़ का ऑक्सीकरण अनॉक्सी श्वसन कहलाता है।
  • मांसपेशियों में दर्द का कारण सम्बन्धित कोशिकाओं में ऊर्जा की कमी को भी माना जाता है क्योंकि अनॉक्सी श्वसन की क्रिया में 2 ATP के रूप में ऊर्जा का उत्पादन होता है।
  • जब अनॉक्सी श्वसन की क्रिया जीवाणु और कवक में होती है तो इसे किण्डवन (Fermentation) कहा जाता है। किण्डवन क्रिया के द्वारा शराब तथा सिरके का निर्माण होता है।

श्वसन तंत्र की कुछ विशेष क्रियाएं (Some special functions of the respiratory system):

खांसना और छींकना : खांसना और छींकना दोनों ही श्वसन संस्थान की रक्षात्मक प्रतिवर्त क्रियाएं मानी जाती हैं।

हिचकी (Hiccup): डायाफ्राम में अचानक होने वाली अनैच्छिक ऐंठन को हिचकी कहते हैं। यह अक्सर श्वसन क्रिया के सामान्य पेटर्न में गड़बड़ी होने से पैदा होती है।

खर्राटे लेना (Snore) : नींद के दौरान जब गले की पेशियां शिथिल हो जाती है तथा कोमल तालू के ढीले ऊतक एवं काकलक आंशिक रूप से ऊपरी वायुमार्ग को बंद कर देते हैं। इसके परिणामस्वरूप खर्राटे आने लगते हैं।

आहे भरना, सिसकना, रोना, जम्हाई लेना तथा हंसना : ये सब गहरी सांस क्रिया के ही अलग-अलग रूप है, जो भावावेगी स्थितियों के साथ संबंध रखते हैं।

 

 

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