Citizenship

नागरिकता (Citizenship)

भारतीय संविधान: नागरिकता


भारतीय संविधान का भाग-2, अनुच्छेद 5 से 11 तक नागरिकता के बारे में है। भारत में ब्रिटेन के समान एकल नागरिकता का प्रावधान किया गया है। अमेरिका में दोहरी नागरिकता है। अनुच्छेद-11 के अन्तर्गत संसद को नागरिकता के सम्बन्ध में विधि बनाने की शक्ति दी गयी है। जिसके तहत् संसद द्वारा भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 पारित किया गया है। इस अधिनियम में वर्ष 1986, 1992, 2003, 2005 और 2015 में संशोधन किया गया। यह अधिनियम वर्तमान भारतीय नागरिकता (Indian Citizenship) सम्बन्धी प्रावधान करता है। इस अधिनियम के अनुसार भारतीय नागरिकता निम्नलिखित 5 प्रकार से प्राप्त की जा सकती है।

1. जन्म से (By Birth):

कोई व्यक्ति जिसका जन्म 26 जनवरी 1950 को या उसके पश्चात भारत में हुआ हो, भारत का नागरिक होगा।

नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986 (Citizenship Amendment Act, 1986) के अनुसार-जन्म से नागरिकता के लिए व्यक्ति के जन्म के समय उसके माता या पिता में से किसी एक का भारत का नागरिक होना अब आवश्यक है।

2. वंश परम्परा से (By Descent):

भारत के बाहर किसी अन्य देश में 26 जनवरी 1950 ई. को या उसके बाद जन्म लेने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक हो सकता है, यदि उसके जन्म के समय उसके माता या पिता में से कोई भी भारत का नागरिक हो।

माता की नागरिकता के आधार पर विदेश में जन्में व्यक्ति को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान नागरिकता संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा किया गया है।

3. पंजीकरण से (By Registration):

निम्नलिखित व्यक्तियों में से कोई व्यक्ति पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता ग्रहण कर सकता है।

  • पंजीकरण हेतु आवेदन करने की तिथि से 5 वर्ष (अब-7 वर्ष) पूर्व भारत में निवास करने वाला व्यक्ति। ऐसे व्यक्ति जिनका जन्म भारत में हुआ हो।
  • ऐसे व्यक्ति जिनका जन्म भारत में हुआ हो किन्तु जो भारत से बाहर किसी अन्य देश में निवास कर रहा हो।
  • ऐसी विदेशी महिला जो किसी भारतीय से विवाह कर चुकी है या करने वाली है।
  • भारतीय नागरिकों के अवयस्क (Minor) बच्चे।
  • राष्ट्रमण्डल देशों (Commonwealth countries) के ऐसे नागरिक जो भारत में रहते हैं या भारत सरकार की नौकरी करते हैं।

4. देशीयकरण से (By Naturalization):

कोई विदेशी व्यक्ति जो वयस्क है और 10 वर्ष से भारत में निवास कर रहा है, भारत सरकार से देशीयकरण का प्रमाण पत्र (Certificate of nationalization) प्राप्त कर भारत का नागरिक बन सकता है।

5. भूमि के अर्जन द्वारा (By Acquisition of Land):

यदि भारत सरकार द्वारा किसी नये भू-भाग को अर्जित कर भारत में उसका विलय किया जाता है तो उस क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को स्वतः भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

नागरिकता का अन्त (The Abolition of citizenship):

किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता का अन्त निम्न तीन प्रकार से हो सकता है-

  • किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करने पर
  • नागरिकता का परित्याग करने पर
  • सरकार द्वारा नागरिकता से वंचित करने पर

भारत सरकार निम्न में से किसी भी आधार पर किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता से वंचित कर सकती है-

  • संविधान के प्रति अनिष्ठा दिखाने पर
  • युद्धकाल में शत्रु की सहायता करने पर।
  • गलत तरीके से नागरिकता प्राप्त करने पर
  • पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त करने के 7 वर्ष के भीतर किसी अन्य देश द्वारा 2 वर्ष की सजा पाने पर
  • किसी भारतीय स्त्री द्वारा विदेशी पुरुष से विवाह करने पर
  • लगातार 7 वर्ष तक भारत से बाहर रहने पर।

नागरिकता के तहत कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेद (some important article under citizenship):

संविधान के लागू होने पर नागरिकता के अधिकार सम्बन्धी प्रावधान अनुच्छेद 5-8 के तहत् दिया गया है।

Article-5: इसके अनुसार संविधान के आरम्भ पर ऐसा प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक होगा जिसका भारत में अधिवास (Domicile) है और उसका या उसके माता-पिता में से किसी का भारत में जन्म हुआ हो अथवा जो कम से कम 5वर्ष से भारत में निवास कर रहा हो।

Article-6: इसके अनुसार ऐसा व्यक्ति जो पाकिस्तान से  भारत आया है उन्हें भारत का नागरिक समझा जाएगा यदि-

  • उसका या उसके माता-पिता या दादा (Grandfather) या दादी (Grand mother) में से किसी का विभाजित भारत में हुआ हो।
  • 19 जुलाई 1948 के पूर्व भारत आकर सामान्यतया रह रहा हो या उसके पश्चात आया हो  किन्तु संविधान के लागू होने के पूर्व भारतीय नागरिकता के रूप में पंजीकरण करा लिया हो।

Article-7: पाकिस्तान को प्रवजन करने वाले अक्षयों की नागरिकता (Right of citizenship of certain migrants to Pakistan) के बारे में है।

Article-8: भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्यक्तियों की नागरिकता (Right of citizenship of certain persons of India Origin residing Qutside India) के सम्बन्ध में हैं।

Article-9: अनच्छेद-9के अनुसार जब कोई व्यक्ति स्वेच्छया से किसी विदेशी राज्य का नागरिक हो जाता है तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जायेगी।

Article-10: अनुच्छेद-10 के अनुसार किसी व्यक्ति की नागरिकता विधि के उपबंधों के अधीन है। और उसकी प्राप्ति संसदीय विधि द्वारा ही ली जा सकेगी किसी अन्य प्रकार से नहीं।

दोहरी नागरिकता (Overseas Citizenship of India):

दिसम्बर-2003 में लक्ष्मीमल सिधवी समिति (Laxmi mall singhvi committee) की सिफारिश पर नागरिकता संशोधन विधेयक 2003 संसद द्वारा पारित किया गया। इसके द्वारा विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को सीमित रूप में भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इसे ओवरसीज सिटिजनशिप आफ इण्डिया (Overseas Citizenship of India) नाम दिया गया है, जिसे सामान्यतः दोहरी नागरिकता कहा जाता है। इसके अन्तर्गत अमेरिका, ब्रिटेन, स्विट्जलैण्ड, रलैण्ड सहित कुल 16 देशों (आस्ट्रेलिया, जरलेण्ड, पुर्तगाल, फ्रांस, स्वीडन, न्यूजीलैण्ड, • साइप्रस, इटली, फिनलैण्ड, आयरलैण्ड, पड ब्रिटेन तथा U.S.A.) में बसे प्रवासी भारतीयों को Persons of Indian Origin Card (PIO Card)  प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इन्हें बिना पासपोर्ट भारत आने-जाने की स्वतन्त्रता होगी, किन्तु उन्हें मताधिकार या कोई संवैधानिक पद प्राप्त करने का अधिकार नहीं होगा, और न ही उन्हें अनुच्छेद – 16 द्वारा प्रदत्त अवसर की समानता का अधिकार होगा।

 

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