Lokpal

Justice PC Ghose is appointed as the India’s First Lokpal

जस्टिस पीसी घोष को भारत का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया है


सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के वर्तमान सदस्य पिनाकी चन्द्र घोष (Pinaki Chandra Ghose) भारत के पहले भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल  (ombudsman, or Lokpal) बन गए हैं, जिसका नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय चयन समिति द्वारा रखे जाने के बाद उनका नाम और सिफारिश की गई।

2013 में लोकपाल अधिनियम (Lokpal Act 2013) को देशव्यापी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद पारित किया गया था, जिसमें केंद्र और राज्यों में लोकायुक्तों की स्थापना की मांग की गई थी, जिससे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों सहित शीर्ष अधिकारियों और लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच की जा सके।

  • लोकपाल के पास लोकपाल द्वारा संदर्भित मामलों के लिए सीबीआई सहित किसी भी जांच एजेंसी पर अधीक्षण और निर्देश की शक्तियां होंगी।
  • लोकपाल के दायरे में सशस्त्र बलों के अपवाद के साथ प्रधान मंत्री सहित सभी लोक सेवक शामिल होंगे।
  • लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होंगे जिनमें से 50 प्रतिशत न्यायिक सदस्य होंगे। लोकपाल के 50 प्रतिशत सदस्य SC / ST / OBC, अल्पसंख्यकों और महिलाओं से होंगे।

पिनाकी चंद्र घोष के बारे में (About Pinaki Chandra Ghose):

  • पिनाकी चंद्र घोष का जन्म 28 मई 1952 कोलकाता, पश्चिम बंगाल को हुआ।
  • मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए जस्टिस घोष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य हैं।

लोकपाल क्या है (What is Lokpal):

लोकपाल एक भ्रष्टाचार-विरोधी प्राधिकरण है, जो जनहित का प्रतिनिधित्व करता है। लोकपाल का अर्थ है “लोगों का ध्यान रखने वाला”  लोकपाल की अवधारणा को स्वीडन (Sweden) से लिया गया है। लोकपाल संसद के सभी सदस्यों और भ्रष्टाचार के मामलों में केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर क्षेत्राधिकार है।

लोकपाल का इतिहास (History of LokPal):

सन 1967 के मध्य तक लोकपाल संस्था 12 देशों में फैल गई थी। भारत में भारतीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने प्रशासन के खिलाफ नागरिकों की शिकायतों को सुनने एवं प्रशासकीय भ्रष्टाचार रोकने के लिए सर्वप्रथम लोकपाल संस्था की स्थापना का विचार रखा था। जिसे उस समय स्वीकार नहीं किया गया था। भारत में साल 1971 में लोकपाल विधेयक प्रस्तुत किया गया जो पांचवी लोकसभा के भंग हो जाने से पारित नहीं हो सका। उसके बाद लोकसभा ने 27 दिसंबर, 2011 को लोकपाल विधेयक पास किया। फिर 23 नवंबर 2012 को प्रवर समिति को भेजने का फैसला किया। उसके बाद 17 दिसंबर 2013 को राज्यसभा में लोकसभा विधेयक पारित हुआ।

कौन लोकपाल हो सकता है (Who can be the ombudsman):

लोकपाल भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या फिर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड न्यायधीश या फिर कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति हो सकते हैं। लोकपाल में अधिकतम आठ सदस्य हो सकते हैं, जिनमें से आधे न्यायिक पृष्ठभूमि से होने चाहिए। इसके अलावा कम से कम आधे सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में से होने चाहिए।

लोकपाल का कार्यकाल (Tenure of the Lokpal):

लोकपाल अधिनियम की धारा 6 के अनुसार, अध्यक्ष और प्रत्येक सदस्य कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से पांच वर्ष या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने जो भी पहले हो तक के लिए पद पर बने रहेंगे। 

लोकपाल की नियुक्ति (Appointment of Lokpal):

लोकपाल की नियुक्ति पांच सदस्यीय समिति द्वारा की जाती है-

  • प्रधान मंत्री
  • लोकसभा अध्यक्ष
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश
  • नेता प्रतिपक्ष
  • प्रधान मंत्री द्वारा नियुक्त सदस्य 

 

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