लोकसभा में 15 जुलाई, 2019 को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन बिल – 2019 पारित किया गया। यह विधेयक राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी (National Investigation Agency – NIA) अधिनियम, 2008 में संशोधन करेगा। इसके अन्तर्गत राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी को अनसूची के तहत सचीबद्ध अपराधों की जाँच करने एवं उन पर न्यायालय में मुकदमा चलाने की शक्ति का प्रावधान किया है।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन बिल – 2019 से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य निम्न हैं –
इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराधों की एक सूची बनाई गई है, जिन्हें ‘सूचीबद्ध अपराध’ कहा गया है, इन अपराधों पर NIA जाँच कर सकती है और मुकदमा चला सकती है।
इस अधिनियम में मानव तस्करी, जाली मुद्रा या बैंक नोटों से सम्बन्धित अपराध, प्रतिबन्धित हथियारों का निर्माण या बिक्री, साइबर आतंकवाद तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत अपराध आदि पर NIA को जाँच करने के अधिकार प्रदान किए गए।
इस सूची में परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और गैर-कानूनी गतिविधियाँ रोकथाम, 1967 जैसे अधिनियमों के तहत सूचीबद्ध अपराध भी शामिल हैं।
यह अधिनियम सूचीबद्ध अपराधों की सुनवाई हेतु केन्द्र सरकार/राज्य सरकार को विशेष न्यायालयों का गठन करने अथवा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अनुमति से सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालयों के रूप में नामित करने की अनुमति देता है।
राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी (National Investigation Agency – NIA)
राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी (NIA) की स्थापना वर्ष 2009 में मुम्बई आतंकवादी हमले के पश्चात की गई थी। यह केन्द्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेन्सी के रूप में कार्य करती है। यह एजेन्सी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों के आतंक सम्बन्धी अपराधों से निपटने के लिए सशक्त है।