What is Regional Comprehensive Economic Partnership (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी क्या है)
- क्या है क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP)?
- कोन कोन से देश इसमें शामिल है?
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) की बैठक कब और कहा हुई?
- क्या कारण है की भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया ?
क्या है क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) (What is Regional Comprehensive Economic Partnership):
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP), 16 देशो के मध्य, 2012 में जिनमे से दस ASEAN देशो (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम) तथा छह FTA सदस्य देशो (चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड)के बीच एक प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है।
ये समझौता सदस्य देशों को एक-दूसरे के साथ व्यापार करने की अनुमति देता है। समझौते के अनुसार, सदस्य देशों को आयात और निर्यात पर कर (टैक्स) का भुगतान नहीं करना पड़ता है या उन्हें बहुत कम भुगतान करना पड़ता है।
RCEP की बैठक कब और कहा हुई ?
4 नवम्बर, 2019 को 9वीं RCEP की बैठक का आयोजन थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में किया किया गया। 16 सदस्य देशों ने भाग लिया। इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल द्वारा किया गया।
क्या कारण है की भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया ?
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में दुनिया के सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौते ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी’ (RCEP) में शामिल नहीं होने का फैसला किया। समझौते में हस्ताक्षर न करने के कई कारण है जिनमे से मुख्य है-
- भारत अधिकतम सदस्य देशों के साथ अधिक आयात और कम निर्यात करता है जिनमे से चीन मुख्य देश है जिनसे भारत जादा आयत करता है, जिसका नुकसान भारत को होगा।
- भारत अपने मूल हितों से समझौता नहीं करेगा।
- छोटे उद्योगों तथा किसानों को इस से काफी नुकसान होगा, क्योकि कम टैक्स में सस्ती वस्तु अन्य देशो से आने लगेंगी।
- सरकार को आयात पर कर में कमी से भारतीय अर्थव्यवस्था घटेगी।
- चीन के साथ अपर्याप्त अंतर, 2014 को बेस वर्ष मानना।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा की “RCEP करार का मौजूदा स्वरूप पूरी तरह इसकी मूल भावना और इसके मार्गदर्शी सिद्धान्तों को परिलक्षित नहीं करता। इसमें भारत द्वारा उठाए गए शेष मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक समाधान नहीं किया जा सका है, ऐसे में भारत के लिए RCEP समझौते में शामिल होना संभव नहीं है”।