AIDS_ A Viral Diseases

AIDS: A Viral Diseases

AIDS: Acquired Immune Deficiency Syndrome


एड्स (AIDS):

इसे slim disease भी कहते है। 01 दिस्मबर एड्स दिवस मनाया जाता है।

  • विश्व में एड्स के प्रथम रोगी का पता 1981 कैलिफोर्निया, यूएसए में समलैंगिक पुरूषों में खोजा गया।
  • भारत में एड्स संक्रमण के पहले रोगी का पता 6 जून, 1986 चैन्नई जबकि राजस्थान में जबकि 1987 में पुष्कर मे मिला।
  • जनक: HIV वायरस (रट्रो वायरस परिवार) (रेटो अर्थात बहुरूपी)।
  • रोबर्ट बेलो (Robert Belot) ने 1984 मे राष्ट्रीय स्वास्थय संस्था अमेरिका में एड्स रोग से पीड़ित रोगी से रिट्रो विषाणु को पृथक किया व उसका नाम मानव टी कोशिका लिम्फो टोपिक विषाणु III रखा।
  • रीट्रो विषाणु में आनुवांशिक पदार्थ RNA तथा टान्सक्रिप्टेस एन्जाइम पाया जाता है। ये निम्न तीन प्रकार के होते है।
    • स्पूमा विषाणु
    • आन्को विषाणु
    • लेन्टि विषाणु
  • शरीर में एच आई वी के प्रवेश के बाद रोग चिन्ह और लक्षण प्रकट होने का समय कुछ माह से लेकर 8 से 10 वर्ष तक हो सकता है। इस अवधि को विन्डोपीरियड (Window period) कहते है।
  • अभी तक दो प्रकार के एचआईवी की जानकारी उपलब्ध हैं – HIV-I, HIV-2

लक्षण:



  • शरीर की प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है
  • शरीर के वजन में अचानक गिरावट, कमजोरी व कई रोगों का एक साथ होना।
  • एड्स से अधिकांशत 15 से 55 आयु वर्ग के सदस्य प्रभावित होते हैं।

होने का कारण:

एड्स विषाणु शरीर में प्रविष्ट होने पर सहायक टी लसिका कोशिकाओं को संक्रमित करता है। इन लसिका कोशिकाओं पर सी डी-4 ग्राही अणु पाये जाते हैं जिनसे विषाणु संलग्न हो जाता है। यह विषाणु इन कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है इससे प्रतिरक्षा प्रणाली शिथिल हो जाती है।

  • HIV रक्त में पायी जाने वाली T-4 लिम्फोसाइट्स कोशिकाओं को प्रभावित करता है।
  • जिस व्यक्ति के शरीर में HIV संक्रमण पनप रहा है एच आई वी सीरा पॉजिटिव कहलाता है।
  • T-4 लिम्फोसाइट्स श्वेत रूधिर कणों का कणों का विशेष प्रकार हैं।
  • यौन सम्बन्ध, रक्तदान, प्रदूषित सूई से इन्जेक्शन, रोग ग्रस्त माता के दुग्ध पान से।

बचाव व उपचार:

एड्स वायरस को बढ़ाने से रोकने की दवाओं को एंटी रिवर्स ट्रासक्रिप्टेज (ART)कहते हैं। एड्स उपचार हेतु प्रयुक्त दवा DDC (डाइडीऑक्सी साइटीडाइन) फॉस्कॉनेट, D4T (Stavudine) है जो कि विषाणु RNA से DNA के संश्लेषण को रोकती है।

  •  कुछ अन्य औषधियाँ प्रोटिएज निरोधी है जैसे कि सैक्युबिर या इनवाइरेज इन्डीनैविर आदि।
  • इसके अलावा एड्स उपचार के लिए कुछ टीके जैसे HIV-HIG (HIV Hyperimmunoglobulin), बायोसिन का विकास हो पाया है। किन्तु व्यावहारिक तौर पर अभी तक कोई भी टीका एड्स से पूर्ण बचाव करने में सक्षम नही।
  • एड्स वास्तव रोग की अन्तिम अवस्था है जिसमें सर्वाधिक प्रमुख लक्षणों में न्यूमोसिस्टिस कैरीनाई न्यूमोनिया तथा कैपोसी का सार्कोमा शामिल है।
  • मां व बच्चे को नेविपेरिन दवा की खुराक देने से HIV संक्रमण कम किया जा सकता हैं।
  • यौन सम्बन्ध के लिए निरोध का प्रयोग।

जाँच:

  • एलिसा टेंस्ट ( ELISA =Enzyme linked immuno sorbent assay)-HIV की उपस्थित का पता लगाने के लिए एक विशेष परीक्षण होतो है।
  • वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट (Western Blot Test)– एजाइजा परीक्षण में धनात्मकता आने पर एक और पुष्टि परीक्षण कराया जाता है। यह एक अधिक विश्वसनीय व सटीक परीक्षण है जोकि सस्ता तथा कम समय में होने वाला हैं।
  • लार परीक्षण- यह परीक्षण लार का परीक्षण है व ऐसी मान्यता पर आधारित है कि एड्स का संचरण लार द्वार सम्भव है।
  • इम्यूनों रेस्टोरेटिव थैरेपी- अस्थिमज्जा प्रत्यारोपण द्वारा एड्स उपचार की थैरेपी।

मुख्य बाते:

  • HIV संक्रमण के उपचार हेतु सर्वाधिक प्रचलित औषधि AZT (Azidothymidine) है। जो HIV की पुनरावृति को रोकता है।
  • AZT उत्कमित ट्रान्सक्रिप्टे एन्जाइम की क्रिया को रोकता है।
  • एलिसा टेस्ट हेतु प्रयुक्त विशेष उपकरण एलिसा रीडर है।
  • राष्ट्रीय एड्स शोध संस्थान NARI पुणे में है।
  • भारत में एड्स से सर्वाधिक रूप से प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है।
  • राष्ट्रीय एड्स नियन्त्रण समिति का गठन 1986 हुआ था।
  • राष्ट्रीय एड्स नियन्त्रण कार्यक्रम 1987 में आरम्भ हुआ था।
  • वर्तमान में एशिया महाद्वीप में सर्वाधिक HIV संक्रमित व्यक्ति हैं।
  • ऑथर एश (Arthur Ashe) एड्स से पीड़ित एक दिवंगत टेनिस स्टार था।

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