Blood Cells

रूधिर (Blood)

Blood Cells


रूधिर (blood) एक तरल संयोजी ऊतक है जिसका निर्माण मनुष्य में अस्थिमज्जा (bone marrow) से होता है जबकि भ्रूणावस्था में रूधिर का निर्माण यकृत और प्लीहा (Liver and spleen) से होता है। एक सामान्य मनुष्य के शरीर में 5 से 6 लीटर रूधिर पाया जाता है जो प्रतिशत में 7 से 8 प्रतिशत पाया जाता है।

रूधिर का निर्माण दो घटक से होता है जिन्हें क्रमशः रूधिर प्लाज्मा (Blood plasma) और रूधिर कणिकाएँ (Blood cells) कहा जाता है।

रूधिर प्लाज्मा (Blood plasma):

रूधिर प्लाज्मा का निर्माण जल, कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थों से होता है। रूधिर प्लाज्मा में जल 90 से 92 प्रतिशत पाया जाता है जबकि कार्बनिक पदार्थ के रूप में सर्वाधिक मात्रा में प्रोटीन पायी जाती है।

रूधिर कणिकाएँ (Blood cells) :

रूधिर कणिकाएँ सम्पूर्ण रूधिर का 40 से 45 प्रतिशत भाग बनाती हैं जो कार्य एवं संरचना के आधार पर तीन प्रकार की होती हैं जिन्हें क्रमशः RBC, WBC एवं Blood Platelets कहा जाता है।

लाल रूधिर कणिकाएँ (Red Blood Corpuscles) :

RBC को एरिथ्रोसाइट्स (Erythrocytes) के नाम से जाना जाता है। जिनका निर्माण लाल अस्थिमज्जा (bone marrow) वाले भाग से होता है। भ्रूणावस्था में RBC का निर्माण यकृत तथा प्लीहा (Liver and spleen) में होता है।

  • RBC संरचना में अण्डाकार होती हैं।
  • RBC का जीवनकाल मनुष्य के शरीर में 120 दिन का होता है। संसार के समस्त स्तनधारी प्राणियों के RBC में केन्द्रक नहीं पाया जाता है लेकिन ऊँट और लामा दो ऐसे स्तनधारी प्राणी हैं जिनके RBC में केन्द्रक पाया जाता है।
  • RBC का रंग लाल या रूधिर का रंग लाल हीमोग्लोबिन के कारण होता हैं हीमोग्लोबिन के केन्द्र में आयरन धातु पायी जाती है। ऊँट एक ऐसा स्तनधारी प्राणी है जिसकी RBC का आकार सबसे बड़ा होता है। हिरन की RBC का आकार सबसे छोटा होता है।
  • यदि किसी व्यक्ति को कुछ दिनों के लिए अंतरिक्ष या माउण्ट एवरेस्ट पर्वत पर छोड़ दिया जाए तो RBC की संख्या और आकार दोनों बढ़ जाएंगे।
  • RBC की संख्या मनुष्य के शरीर में 5 से 5.5 लाख प्रति घन मिली मीटर होती है।
  • RBC का मुख्य कार्य ऑक्सीजन का परिवहन करना है।

श्वेत रूधिर कणिकाए (White Blood Corpuscles):

WBC को ल्यूकोसाइट (Leukocyte) के नाम से जाना जाता है। WBC का निर्माण मनुष्य के शरीर में श्वेत अस्थिमज्जा (White bone marrow) से होता है।

  • WBC का जीवनकाल मनुष्य के शरीर में लगभग 8 से 10 दिन का होता है।
  • WBC की संख्या मनुष्य के शरीर में लगभग 5000 हजार से 9000 प्रति घन मिली मीटर होती है।
  • RBC और WBC का अनुपात रूधिर में 600 : 1 होता है।
  • WBC आकार में अमीबा के आकार की होती है अर्थात इनका कोई निश्चित आकार नहीं होता है।
  • WBC का मुख्य कार्य हानिकारक जीवाणुओं से शरीर की सुरक्षा करना है।
  • आकार में सबसे बड़ी WBC मोनोसाइट्स होती है।
  • लिम्फोसाइट प्रकार की WBC आकार में सबसे छोटी होती है।
  • संख्या में सबसे अधिक न्यूट्रोफिल प्रकार की WBC पायी जाती है।

रूधिर पटलिकाएँ (Blood Platelets) :

  • रूधिर पटलिकाओं को थ्रोम्बोसाइट्स (Thrombocytes) के नाम से जाना जाता है।
  • रूधिर पटलिकाओं का निर्माण लाल अस्थिमज्जा वाले भाग से होता है जो संरचना में प्लेट के आकार के होते हैं।
  • रूधिर पटलिकाओं का जीवनकाल लगभग 8 से 10 दिन का होता है। रूधिर पटलिकाएँ रूधिर का थक्का बनाने में सहायता करती है। इनकी संख्या मनुष्य के शरीर में लगभग 3 से 5 लाख प्रति घन मिली मीटर होती है।
  • डेंगू जैसे विषाणुजनित बिमारी में शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है क्योंकि डेंगू के विषाणु प्लेटलेट्स को खा जाते हैं।

रूधिर समूह (Blood Group)

‘रक्त समूह (Blood group)’ की खोज K. Landsteiner ने 1900-1902 में की थी। रक्त समूह को 4 भागो में बाटा गया हैं-

Blood group Antigen Antibody
A A b
B B a
AB AB
O ab
  • Group ‘A’- इसमें एन्टीजन A और ऐण्टीबाडी B पाये जाते हैं।
  • Group ‘B’- इसमें एन्टीजन B और ऐण्टीबाडी A पाये जाते हैं।
  • Group ‘AB’- इसमें एन्टीजन A और B दोनों पाये जाते हैं और कोई ऐण्टीबाडी (Antibody) नहीं होते हैं।
  • Group ‘O’- इसमें कोई भी एण्टीजन नहीं पाया जाता और A तथा B एण्टीबाडी पाये जाते हैं।

इनमें रक्त समूह ‘A’ रक्त समूह A और 0 से रक्त ले सकता है तथा A और AB रक्त समूह के व्यक्ति को रक्त दे सकता है।

रक्त समूह ‘B’ वाला व्यक्ति रक्त समूह B और 0 से रक्त ले सकता है तथा B और AB को रक्त दे सकता है।

रक्त समूह AB किसी भी रक्त समूह के व्यक्ति से रक्त ले सकता है तथा केवल AB रक्त समूह वाले व्यक्ति को दे सकता है।

रक्त समूह ‘O’ में कोई एन्टीजन नहीं पाया जाता, परन्तु एन्टीबाडी A तथा B दोनों पाया जाता है, इसलिए रक्त समूह O का व्यक्ति सिर्फ ‘O’ समूह से रक्त ले सकता है तथा सभी रक्त समूह को दे सकता है। अर्थात् ‘AB’ सर्वग्राही (Universal Acceptor) तथा ‘O’ सर्व दाता  (Universal Donor) है।

रूधिर आधान (Blood Transfusion)

Blood Group Can be donete Can be received
A A, AB A, O
B B, AB B, O
AB AB A, B, AB, O
O A, B, AB, O O

RH कारक (RH factor):

यह व्यक्ति की लाल रक्त कणिकाओं में पाये जाने वाला एक प्रकार का Antibody है। इसे सर्व प्रथम ‘रीसस’ जाति के बन्दर में Landsteiner तथा A.S. Wiener द्वारा 1940 में खोजा गया। जिनमें RH पाया जाता है, उन्हें RH (Positive) तथा जिनमें नहीं पाया जाता, उनहें Rh (Negative) कहते हैं।

लगभग 90% लोगों में Rh कारक पाया जाता है। Rh+ रक्त के व्यक्ति को Rh रक्त देने पर उसका रक्त संलयित हो जायेगा और व्यक्ति की मृत्यु हो जायेगी। यदि Rhनिगेटिव वाली माता के उदर में Rh+ पॉजिटिव वाला शिशु है (Rh+ पिता से प्राप्त होता है) तो शिशु में बन रहा Rh+ पॉजिटिव रक्त की कुछ मात्रा माता में स्थानान्तरित हो जाती है, जिससे Rh+ पॉजिटिव के खिलाफ माता के रक्त में Antibodies का निर्माण होता है (क्योंकि माता के रक्त में शिशु से पहुँचा Rh+ माता के लिए एण्टीजन (Antigen) का काम किया)। यह Antibody माता के रक्त से बच्चे को आहार के रूप में प्राप्त होता है। यह एण्टीबाडी शिशु के शरीर में एण्टीजन का काम करता है और लाल रक्त कण को नष्ट कर देता है जिससे शिशु की प्रायः मृत्यु हो जाती है। इस अवस्था को Erythroblastosis Foetalis‘ कहते हैं। इस अवस्था की सम्भावना प्रथम गर्भधारण में कम होती है।

 

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