The Prime Minister of India

The Prime Minister संसदीय शासन प्रणाली में प्रधानमंत्री का पद सर्वाधिक महत्वपूर्ण पद होता है, क्योंकि राष्ट्रपति केवल नाममात्र का प्रधान होता है, शासन की वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री के ही हाथ में होती है। वही मंत्रिपरिषद् का निर्माण और उसका संचालन करता है। लार्ड मार्ले (Lord Marley) के अनुसार, ”Read More →

Council of Ministers

केंद्रीय मंत्रिपरिषद केन्द्रीय मंत्रिपरिषद को संघीय मंत्रि परिषद भी कहा जाता है। अनुच्छेद 53 में कहा गया है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के निहित होगी। अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) होगी, जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा। मंत्रिपरिषद्Read More →

Vice President

भारतीय राजनीति: भारत का उपराष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद-63 (article-63) के अनुसार भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का ‘पदेन सभापति’ (Ex-office Chairman) होता है तथा अपनी पदावधि के दौरान अन्य कोई लाभ का पद (Office of Profit) ग्रहण नहीं करता है  भारत में उपराष्ट्रपति के पद सम्बन्धी प्रावधान अमेरिकाRead More →

Indian Polity: Powers of the President संविधान द्वारा राष्ट्रपति को व्यापक शक्तियाँ प्रदान की गयी हैं। राष्ट्रपति की इन शक्तियों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।  शान्ति कालीन शक्तियां  आपात कालीन शक्तियां शान्ति कालीन शक्तियाँ-शान्तिकाल में राष्ट्रपति को निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त होती हैं- शान्ति कालीन शक्तियां 1.Read More →

Impeachment of the President

Indian Polity: President Of India राष्ट्रपति के पद की अवधि (Term of Office of The President): अनुच्छेद-56 के अनुसार राष्ट्रपति पद ग्रहण की तिथि से 5 वर्ष की अवधि तक अपना पद धारण करता है। किन्तु वह पाँच वर्ष के पूर्व कभी भी उपराष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है।Read More →

President of India

भारत का राष्ट्रपति भारत में संघीय कार्यपालिका (Union Executive) का प्रधान राष्ट्रपति होता है तथा संघ की सभी कार्यपालिका राष्ट्रपति के निहित है, जिसका प्रयोग वह संविधान के अनुसार स्वयं या, अधीनस्थ पदाधिकारियों के माध्यम से करता है। राष्ट्रपति का निर्वाचन (Election of President): अनुच्छेद 54 के अनुसार राष्ट्रपति काRead More →

Fundamental duties

अनुच्छेद-51(क): मूल कर्तव्य भारत के संविधान में आरम्भ में नागरिकों के लिए मूल कर्तव्यों का उल्लेख नहीं था। इसे स्वर्ण सिंह समिति (Swaran Singh committee) की संस्तुति के आधार पर 42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा जोड़ा गया है। समिति का विचार था कि जहाँ संविधान में नागरिकों के लिए मूलRead More →

Directive Principles

अनुच्छेद 36 से 51-राज्य के नीति  निर्देशक सिद्धांत भारतीय संविधान के भाग-4, अनुच्छेद 36 से 51 तक में राज्य के नीति  निर्देशक सिद्धांत (Directive Principles of State Policy) का वर्णन किया गया है। इसे ‘आयरलैण्ड’ के संविधान से लिया गया है। नीति निदेशक तत्व हमारे संविधान की एक प्रमुख विशेषता हैं।Read More →

Right to Constitutional Remedies

मूल अधिकार: संवैधानिक उपचारों का अधिकार अनुच्छेद 32 के तहत् उपबन्धित संवैधानिक उपचारों का अधिकार एक अत्यन्त महत्वपूर्ण मूल अधिकार है। इसकी महत्ता को रेखांकित करते हुए डा. भीम राव अम्बेडकर ने इसे भारतीय संविधान की हृदय और आत्मा (Heart and Soul) कहा है। इस अधिनियम के अन्तर्गत जब किसीRead More →

Cultural and Educational Rights

मूल अधिकार: संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार ‘संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार’ को अनुच्छेद29 व 30 के अन्तर्गत पाँचवें मूल अधिकार के रूप में स्थान दिया गया है।  Article- 29: अनुच्छेद-29 के अन्तर्गत अल्पसंख्यक वर्गों के हितों को संरक्षण प्रदान किया गया है। Article- 30: अनुच्छेद-30 अल्पसंख्यक वर्गों को शिक्षणRead More →