Citizenship Amendment Bill 2019 pass in LokSabha : नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 लोकसभा में पारित:
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) 8 January 2019 को लोकसभा में पारित कर दिया गया हैं।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा ” असम की सीमा देश की सीमा है और जो भी जरूरी होगा, केंद्र सरकार वह सब करेगी।“
नागरिकता संशोधन बिल 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019), नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है।
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक ?
अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों का काफी उत्पीड़न हो रहा है और इसलिए जो भी कभी भारत का मूल नागरिक रहा हो उसे नागरिकता देना हमारी जिम्मेदारी है और इसलिए यह विधेयक लाया गया है| उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बंगलादेश बनते समय उन देशों में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए वहाँ की सरकारों के साथ भारत की तत्कालीन सरकारों ने समझौते किये थे, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ढँग से वहाँ अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न लगातार जारी है | गृहमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से लोकसभा में पेश नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया हैं।
क्यू लाया गया नागरिकता संशोधन विधेयक ?
विधेयक के प्रावधानों की बात करें तो, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए छह अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को राहत मिलेगी | इन देशों से हिन्दू, सिख, बौद्ध जैन, पारसी और ईसाई धर्म के पीड़ित प्रवासियों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी. प्रावधानों के मुताबिक अब 12 साल के बजाय 7 साल से भारत में रह रहे इन अल्पसंख्यक प्रवासियों को देश की नागरिकता मिल सकेगी. ये विधेयक केवल असम ही नहीं बल्कि देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पर लागू होगा |
नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ लोगों प्रदर्शन:
यह विधेयक 2016 में पहली बार पेश किया गया था | असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक के खिलाफ लोगों प्रदर्शन जारी है. लोगों का कहना है कि यह 1985 के असम समझौते को अमान्य करेगा जिसके तहत 1971 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले किसी भी विदेशी नागरिक को निर्वासित करने की बात कही गई थी |
नागरिकता संशोधन विधेयक के मुख्य तथ्य:
1. समझौते के क्लाज 6 के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू कराने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन का फैसला किया है जो छह महीने में रिपोर्ट देगी |
2. यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. यह विधेयक कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदाय को 12 साल के बजाय 6 साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता प्रदान करेगा |
3. यह विधेयक वर्ष 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विभिन्न विपक्षी दलों की माँग को देखते हुये विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था. समिति की रिपोर्ट के अनुरूप तैयार नये विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी स्वीकृति दी थी |
4. ये विधेयक ना केवल असम में बल्कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेसो में लागू होगा |