भारत में शास्त्रीय नृत्य के रूप (Classical Dance Forms in India)
भारत में शास्त्रीय और लोक संगीत और नृत्यों की हजारों साल पुरानी परंपरा है। शास्त्रीय नृत्य सामाजिक जीवन और अनुभवों से अभिव्यक्तियों और विषयों को शामिल करके प्रदर्शित किया जाता है। भगवान शिव को ‘नटराज’ अर्थात ‘सभी नृत्य का राजा’ कहा जाता है जो जीवन और मृत्यु को संतुलित करता है और यह सब ब्रह्मांड में सामंजस्यपूर्ण चक्रों में हो रहा है।
शास्त्रीय नृत्यों की उत्पत्ति:
अधिकांश शास्त्रीय नृत्य रूपों की उत्पत्ति मंदिरों में हुई। जिनका मुख्य उद्देश्य पूजा करना था। यद्यपि प्रत्येक नृत्य रूप अलग-अलग क्षेत्रों से विकसित हुआ है, उनकी जड़ें समान हैं। शास्त्रीय नृत्य का पता संस्कृत पुस्तक ‘नाट्य शास्त्र’ से लगाया जा सकता है। नाट्य शास्त्र का पहला संकलन 200 ईसा पूर्व का है। आज, भारतीय शास्त्रीय नृत्य पूरी दुनिया में बहुत लोकप्रिय नृत्य हैं।
रसानुभूति: 8 रास:
नाट्य शास्त्र आठ रसों की बात करता है। वे निम्नलिखित हैं:
- शृंगार- प्रेम
- हास्य- हास्यपूर्ण
- करुणा- दु: ख
- रौद्र- क्रोध
- वीर- वीरता
- भयानक- डर
- बिभत्स- घृणा
- अदबूत- आश्चर्य है
state wise Classical Dance
- Andhra Pradesh
1. Kuchipudi (कुचिपुड़ी):
कुचिपुड़ी आंध्र प्रदेश की एक स्वदेशी नृत्य शैली है, जो इस नाम के गांव में उत्पन्न हुई और विकसित हुई, इसका मूल नाम कुचलपुरी या कुचलापुरम था, जो कृष्णा जिले का एक शहर है। कुचिपुड़ी धार्मिक कला के रूप में विकसित हुई जो सदियों पुराने हिंदू संस्कृत पाठ ‘नाट्य शास्त्र’ के रूप में है और पारंपरिक रूप से मंदिरों, आध्यात्मिक विश्वासों और यात्रा के साथ जुड़ती है। परम्परा के अनुसार कुचीपुडी नृत्य मूलत: केवल पुरुषों द्वारा किया जाता था और वह भी केवल ब्राह्मण समुदाय के पुरुषों द्वारा। ये ब्राह्मण परिवार कुचीपुडी के भागवतथालू कहलाते थे।
कुचिपुड़ी के प्रमुख कलाकार: लक्ष्मी नारायण शास्त्री, स्वप्नसुंदरी, राजा और राधा रेड्डी, यामिनी कृष्णमूर्ति, यामिनी रेड्डी, कौशल्या रेड्डी
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Assam
2. Sattriya (सत्त्रिया नृत्य):
यह नृत्य असम का शास्त्रीय नृत्य है। सन 2000 में, इस नृत्य को भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में शामिल होने का गौरव मिला। इस नृत्य के संस्थापक महान संत श्रीमंत शंकरदेव हैं। अकीरा नट की संगत के रूप में शंकरदेव ने सत्त्रिया नृत्य का निर्माण किया। यह नृत्य सत्त्र नामक असम के मठों में प्रदर्शन किया गया था। यह परंपरा विकसित हुइ और बढ़ी सत्त्रो के भीतर और यह नृत्य रूप सत्त्रिया नृत्य कहा जाने लगा।
सत्त्रिया नृत्य के प्रमुख कलाकार: मनिराम डटा मुकतियार बरबायान,रोसेश्वर सैकिया बरबायान, इंदिरा पी. पी. बोरा, दीप चलीहा, जतिन गोस्वामी, गुणकँता डटा बरबायान, माणिक बरबायान।
- Gujarat
3. Garba (गरबा):
गरबा एक लोक नृत्य है जो गुजरात, राजस्थान और मालवा क्षेत्रों में किया जाता है, जिसका मूल गुजरात है। प्रारंभ में, यह नृत्य देवी के पास सछिद्र घट में दीप ले जानेके लिए किया गया था। इस प्रकार यह घट दीपगर्भ कहलाता था। गरबा सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है और अश्विन मास की नवरात्रों को गरबा नृत्योत्सव के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रों की पहली रात्रि को गरबा की स्थापना होती है।
‘गरबा’ और ‘डांडिया’ नृत्य प्रदर्शन के बीच मुख्य अंतर यह है कि गरबा ‘आरती’ से पहले किया जाता है, जबकि इसके बाद डांडिया किया जाता है।
- Kerala
4. Mohiniattam (मोहिनीअट्टम):
मोहिनीअट्टम भारत के केरल राज्य के दो शास्त्रीय नृत्यों में से एक है, कथकली केरल का एक और शास्त्रीय नृत्य है। मोहिनीअट्टम नृत्य का उल्लेख कुछ अठारहवीं शताब्दी के ग्रंथों में मिलता है, लेकिन शैली के व्यावहारिक पहलू को 19 वीं शताब्दी में महाराजा स्वाति तिरुनल के शासनकाल में पुनर्जीवित किया गया, जो कला के महान शासक संरक्षक थे। मोहिनीअट्टम एक भारतीय शास्त्रीय नृत्य है, जिसके रचयिता प्राचीन विद्वान भरत मुनि हैं 19 वीं सदी में ब्रिटिश शासन में शास्त्रीय नृत्यों का उपहास और मजाक उड़ाया गया, जिससे उनके प्रसार में भारी गिरावट आई।
5. Kathakali (कथकली):
कथकली मालाबार, कोचीन और त्रावणकोर के आसपास लोकप्रिय नृत्य शैली है। ‘कथकली’ का अर्थ है ‘एक कहानी का नाटक’ या ‘एक नृत्य नाटक’। 17 वीं शताब्दी में कोट्टारक्करा तंपुरान (राजा) ने जिस रामनाट्टम का आविष्कार किया था उसी का विकसित रूप है कथकली। यह रंगकला नृत्यनाट्य कला का सुंदरतम रूप है। इसके नर्तकों को कढ़ाई वाले वस्त्रों, फूलों की मूर्तियों, आभूषणों और मुकुट से सजाया गया है। वे प्रतीकात्मक रूप से उन विशिष्ट भूमिकाओं को चित्रित करने के लिए एक विशिष्ट प्रकार का उत्पादन करते हैं, जो व्यक्तिगत चरित्र के बजाय उस चरित्र से अधिक निकटता से संबंधित हैं।
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Manipur
6. Manipuri (मणिपुरी):
मणिपुरी नृत्य, जिसे जागी(Jagoi dance) के नाम से भी जाना जाता है, प्रमुख भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक है। मणिपुरी नृत्य, नृत्य के रूप में रासलीला की प्रस्तुति की जाती है जिसमे, राधा और कृष्ण के प्रेम को दिखाया जाता है। मणिपुरी नृत्य भारत का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है। इसका नाम इसकी उत्पत्तिस्थल (मणिपुर) के नाम पर पड़ा है। इसमें शरीर धीमी गति से चलता है, सांकेतिक भव्यता और मनमोहक गति से भुजाएँ अंगुलियों तक प्रवाहित होती हैं। महिला “रास” नृत्य राधा-कृष्ण की विषयवस्तु पर आधारित है जो बेले तथा एकल नृत्य का रूप है। पुरुष “संकीर्तन” नृत्य मणिपुरी ढोलक की ताल पर पूरी शक्ति के साथ किया जाता है।
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Odisha
7. Odissi (ओडिसी):
ओडिसी ओडिशा प्रांत भारत की एक शास्त्रीय नृत्य शैली है। ओडिसी नृत्य को पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक माना जाता है। इसका जन्म मन्दिर में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य से हुआ था। ओडिसी नृत्य का उल्लेख कई शिलालेखों में मिलता है। ओडिसी एकमात्र भारतीय नृत्य रूप था जिसे माइकल जैक्सन के 1991 में मौजूद ‘ब्लैक या व्हाइट’ में प्रस्तुत किया था। ओडिसी नर्त्य शिव और सूर्य से संबंधित, साथ ही अन्य हिंदू देवताओं हिंदू देवी विचार भी व्यक्त किए हैं।
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Telangana
8. Kuchipudi (कुचिपुड़ी)
कुचिपुड़ी नृत्य, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश का एक ही है।
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Tamil Nadu
9. Bharatanatyam (भरतनाट्यम):
भरतनाट्यम् या चधिर अट्टम मुख्य रूप से दक्षिण भारत की शास्त्रीय नृत्य शैली है। भरतनाट्यम् का जन्म तमिलनाडु में हुआ था। यह भरतमुनि के नाट्यशास्त्र पर आधारित है। भरतनाट्यम एक एकल नृत्य है जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है। भारत नाट्यम के दो भाग हैं, यह आमतौर पर दो भागों में किया जाता है, पहला नृत्य और दूसरा अभिनय। नृत्य शरीर के कुछ हिस्सों से उत्पन्न होता है, रस, भाव और काल्पनिक अभिव्यक्ति होना आवश्यक है।
भरतनाट्यम् नृत्य के प्रमुख कलाकार: मृणालिनी साराभाई, यामिनी कृष्णमूर्ति, लीला सैमसन, एस. के. सरोज, रुकमणी देवी, अरुण्डेल,टी. बाला सरस्वती , सोनल मानसिंह ,वैजयंती माला , पदमा सुब्राम्हणयम , मालविका सरकार, रामगोपाल आदि।
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Uttar Pradesh
10. Kathak (कथक):
कथक नृत्य उत्तर प्रदेश का शास्त्रिय नृत्य है। कत्थक शब्द की उत्पति संस्कृत के “कथा” से हुई है। संस्कृत में कथा कहने वाले को “कथक” कहा जाता है। कथक की उत्पति भक्ति आन्दोलन के समय हुई। कथक के माध्यम से पोराणिक कहानियों को दिखाया जाता है। यह नृत्य कहानियों को बोलने का साधन है। इस नृत्य को ‘नटवरी नृत्य’ के नाम से भी जाना जाता है।
‘कथक’ शब्द का उद्भव ‘कथा’ से हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- ‘कहानी कहना’। पुराने समय में कथा वाचक गानों के रूप में इसे बोलते और अपनी कथा को एक नया रूप देने के लिए नृत्य करते। इस नृत्य में मुख्यतः विशेषता इसकी पैरों का मूवमेंट हैं।
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West Bengal
11. Chhau (छऊ):
छऊ नृत्य ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड का एक लोकप्रिय शास्त्रिय नृत्य है। छऊ भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न हिस्सा है, और यह एक विशिष्ट स्वदेशी नृत्य शैली है जिसे सभी भारतीय नृत्यों और नाट्य कलाओं को भारतीय मानस में शामिल करके बनाया गया है। इसके तीन प्रकार है- सेरैकेला छऊ, मयूरभंज छऊ और पुरुलिया छऊ।
छाऊ नृत्य की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में हुई और यह मार्शल आर्ट और जुझारू प्रशिक्षण से प्रेरणा लेता है। नृत्य का यह रूप दर्शकों को कहानियों को चित्रित करने का एक साधन है, यही वजह है कि प्रदर्शन के दौरान युद्ध और युद्ध से जुड़े विस्तृत मुखौटे और टोपी पहनी जाते हैं।