मूल अधिकार: धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
अनुच्छेद 25 से 28 सभी व्यक्तियों के लिए, चाहे वे विदेशी हों या भारतीय, धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार को प्रत्याभूत करता है। 42वें संविधान संशोधन द्वारा उद्देशिका में ‘पंथनिरपेक्ष (Secular)‘ शब्द जोड़कर इस बात को और स्पष्ट कर दिया गया है। पंथ निरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य सभी धर्मों के प्रति तटस्थता और निष्पक्षता का व्यवहार करेगा।
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर आधारित पहला लोकतंत्र संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में स्थापित किया गया था।
- Article-25- अनुच्छेद-25, व्यक्ति के अन्तःकरण और धार्मिक क्रिया-कलाप की स्वतंत्रता के बारे में है।
- Article-26- अनुच्छेद-26 धार्मिक सम्प्रदायों को धार्मिक कायों के प्रबन्धन की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
- Article-27- अनुच्छेद 27, धर्म की अभिवृद्धि हेतु करों से छूट की स्वतंत्रता के बारे में है।
- Article-28- अनुच्छेद-28 शक्षण संस्थाओं में धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
1. Article-25-अन्तःकरण आदि की स्वतंत्रता (Freedom of Conscience etc):
अनुच्छेद 25 को खण्ड ( 1 ) प्रत्येक व्यक्ति को अन्तःकरण की स्वतंत्रता और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने तथा प्रचार करने का अधिकार प्रदान करता है। अंतःकरण की स्वतंत्रता से तात्पर्य व्यक्ति की आन्तरिक स्वतंत्रता से है। जिसके तहत् वह अपनी इच्छानुसार अपने धर्म को मानने, धर्म के आचरण से जुड़े हुए कर्मकाण्ड करना, कर्तव्यों का पालन करना अपने धार्मिक विश्वास को प्रकट करना।
अनुच्छेद 25 (1) के अनुसार राज्य कानून द्वारा निम्नलिखित आधार पर व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा सकता है-
- गो-वध (Cow-Slaughter) को इस्लाम की अनिवार्य प्रथा नहीं माना गया है।
- प्रलोभन या बल पूर्वक धर्मांतरण पर प्रतिबंध।
- धर्माचरण से सम्बद्ध जिन लौकिक गतिविधियों का विनियन राज्य कर सकता है, उनके सम्बन्ध में विधि के अनुरूप कार्यवाही की जानी चाहिए।
अनुच्छेद 25 (2) के अनुसार धर्मिक स्वतंत्रता के होते हुए भी, राज्य निम्नलिखित के सम्बन्ध में विधि का निर्माण कर सकता है।
2. Article-26- धार्मिक कार्यों के प्रबन्धन की स्वतंत्रता (Freedom to Manage religious affairs):
अनुच्छेद-26 के अन्तर्गत धार्मिक कार्यों के प्रबन्धन की स्वतंत्रता दी गयी है। यह स्वतंत्रता व्यक्यिों को नहीं बल्कि धार्मिक संप्रदायों को दी गयी है। धार्मिक संप्रदाय किसी विशेष धर्म में विश्वास करने वाले व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो एक विशिष्ट नाम से संगठित है, जैसे -राम कृष्ण मिशन।
यह अधिकार सिर्फ व्यक्तियों द्वारा स्थापित संस्थाओं को प्राप्त है। यदि कोई संस्था संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित की जाय तो उसे धार्मिक कार्यों में प्रबन्धन की स्वतंत्रता नहीं होगी। जैसे – अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जो संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया है, उसे धार्मिक कार्यों में प्रबन्धन की स्वतंत्रता नहीं है।
3. Article-27- धार्मिक अभिवृद्धि हेतु कर से मुक्ति (Freedom to Taxes for religious Promotion):
अनुच्छेद-27, यह उपबन्धित करता है। कि किसी भी व्यक्ति को कोई ऐसा कर देने के लिए विवश नहीं किया जायेगा, जिसकी आय को किसी विशेष धर्म या धार्मिक सम्प्रदाय की वद्धि के लिए व्यय किया जाता है। अर्थात अनुच्छेद 27 कर लगाने का निषेध ना है न कि शुल्क लगाने का। कर बिना किसी के एक अनिवार्य धन की वसूली है, जबकि शुल्क सेवा के बदले राज्य द्वारा वसूला जाने वाला धन है। अतः यदि राज्य किसी धार्मिक सम्प्रदाय के लिए कोई कार्य करता है तो उस कार्य के लिए उस धार्मिक सम्प्रदाय के लोगों से वह शुल्क वसूल सकता है।
4. Article-27- शिक्षण संस्थाओं के बारे में स्वतंत्रता (Freedom in Educational Institutions):
अनुच्छेद-28(1) राज्य निधि से पूर्णतः पोषित शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा दिये जाने का निषेध करता है।
अनुच्छेद 28 (2) खण्ड (1) का अपवाद है; जिसके अनुसार यदि कोई शिक्षण संस्था जिसकी स्थापना किसी ऐसे विन्यास या न्यास (Endowment or Trust) के अधीन हुई है, जिसके तहत् उस संस्था में धार्मिक शिक्षा देना आवश्यक है, तो ऐसी संस्था में धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है।
अनुच्छेद-28 (3) के तहत् यह प्रावधान किया गया है कि किसी व्यक्ति को, राज्य से मान्यता प्राप्त या राज्य निधि (State Fund) से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में दी जाने वाली धार्मिक शिक्षा में भाग लेने अथवा उसमें की जाने वाली धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
Read also:
- Development of Fundamental Right (मूल अधिकार का विकास)
- Article-14-18: Right to Equality (समानता का अधिकार)
- Article 19-22: Right to Freedom (स्वतंत्रता का अधिकार)
- Article 23-24: Right Against Exploitation (शोषण के विरुद्ध अधिकार)