हिमाचल प्रदेश का भूगोल (Geography of Himachal Pradesh)

हिमाचल प्रदेश का भूगोल


हिमाचल प्रदेश का देशांतर और अक्षांश (Longitude and latitude of Himachal Pradesh)

हिमाचल प्रदेश 30°22′ से 33°12′ उत्तरी अक्षांस तथा 75°47′ से 79°4′ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। इसके पूर्व में तिब्बत, उत्तर में जम्म-कश्मीर, दक्षिण पर्व में उत्तराखंड, दक्षिण में हरियाणा तथा पश्चिम में पंजाब राज्य स्थित है। हिमाचल प्रदेश मूलतः पहाड़ी प्रदेश है इसकी पहाड़ियों तथा चोटियों की समुद्र तल से ऊंचाई 350 मीटर से 7000 मीटर के बीच पाई जाती है। इसकी पहाड़ियों की ऊंचाई पश्चिम से पूर्व की ओर तथा दक्षिण से उत्तर की ओर क्रमश: बढ़ती चली जाती है।

प्राचीन काल में भौगोलिक दृष्टि से इस क्षेत्र को “जलन्धर” कहा जाता था क्यूंकि जलन्धर का अर्थ है जल को धारण करने वाला, हिमाचल जल का स्त्रोत है क्योंकि यहां पर सतलुज, व्यास, यमुना, रावी, चन्द्रभागा (चिनाव) आदि नदियां प्रचुर मात्रा में जल प्रदान करती है।

प्राचीन काल में हिमालय को पांच खण्ड में बाटा गया, जिन्हें नेपाल, कूर्माचल, केदार, जलन्धर तथा कश्मीर कहा जाता था। इनमें कूर्माचल-कुमांऊ, केदार-गढ़वाल का तथा जलन्धर-हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता है। प्राचीन काल में हिमालय क्षेत्र को “इलावर्त” के नाम से भी जाना जाता था।

हिमाचल प्रदेश के भौगोलिक भाग (Geographical Parts of Himachal Pradesh):

Himachal Pradesh Map

हिमाचल प्रदेश के भौगोलिक स्वरूप में पर्याप्त विभिन्नताएँ नज़र आती हैं। हिमाचल के धरातलीय उच्चावच में विविधता दर्शनीय है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा से शिवालिक पहाड़ियों के द्वारा अलग किया जाता हिमाचल प्रदेश में धरातल की ऊँचाई पश्चिम से पूर्व तथा दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ती है। दक्षिण से उत्तर की ओर हिमाचल प्रदेश की भौतिकाकृति को चार प्रमुख भागों में बाटा गया है जो इस प्रकार से है:

  1. बाहरी या शिवालिक हिमालय (Outer Himalayan or Shiwaliks zone)
  2. लघु तथा मध्य हिमालय (Lesser Or Middle Himalayas)
  3. महान् हिमालय या उच्च हिमालय (The Higher Or Great Himalayas)
  4. जांस्कर हिमालय या ट्रांस हिमालय (Zanskar or Trans-Himalayan Region)

1. बाहरी या शिवालिक हिमालय (Outer Himalayan or Shiwaliks zone):

शिवालिक का शाब्दिक अर्थ है-शिव की अलका यानि शिव की जटायें। वैसे तो शिवालिक क्षेत्र पंजाब में पोटवार वेसिन के दक्षिण से आरम्भ होकर पूर्व की ओर कोसी नदी तक फैला हुआ हैं। मिथल के अनुसार यह सिन्ध गॉर्ज से असम में ब्रह्मपुत्र घाटी तक 2400 कि.मी ल परन्तु यह क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के दक्षिणी भाग में उत्तरी भारत के विस्तृत मैदान को कहा जाता है।

हिमाचल में शिवालिक क्षेत्र का विस्तार सिरमौर, सोलन, ऊना, कांगड़ा तथा चम्बा जिला के निम्नवर्ती भागों तक है। इस भू–भाग की कुल लम्बाई एक छोटी पट्टी के रूप में लगभभ 300 कि.मी. तथा चौड़ाई 12-45 कि.मी. के मध्य है। इसकी समुद्र तल से औसतन ऊँचाई 350-800 मी. के मध्य है।

  • दून घाटिया- ये शिवालिक के पीछे बाहरी हिमालय से पथक करने वाली घाटियां है। इन्हें पश्चिमी में ‘दून’ तथा पूर्व में ‘द्वार’ कहते है। इनका निर्माण तनावपूर्ण आंतरिक शक्तियों के कारण हुआ है। इसमें प्रमुख घाटियां क्यारदूनं, सिरमौर, नालागढ़, सोलन तथा जसवान -दून एवं नूरपुर दून, ऊना और कांगड़ा में स्थित है।
  • बाहरी हिमालयन श्रेणियां- इन घाटियों की ऊँचाई 350-700 मीटर के मध्य है। यह धरातलीय क्षेत्र लघु उत्तर पूर्वी दिशा में फैले है। इनकी औसतन ऊँचाई समुद्र तल से 750-1500 मीटर के मध्य है।

2. लघु व मध्य हिमालय (Lesser Or Middle Himalayas):

शिवालिक के उत्तर में यह श्रेणी 65 से 90 कि.मी. चौडी, औसतन 1500 से 800 मीटर ऊँची है। इस श्रेणी में स्लेट, चूना पत्थर, कवार्टज आदि की प्रधानता है। लघु हिमालय बाहरी हिमालय तथा उच्च हिमालय के मध्य में स्थित है। इसका विस्तार हिमाचल के चम्बा, कांगड़ा, मण्डी, हमीरपुर, बिलासपुर, शिमला, कुल्लू तथा सोलन के अधिकतर क्षेत्रों में है। इस क्षेत्र की स्थलाकृतियों को निम्नलिखित दो भागों में विभाजित किया गया है-

  • धौलाधार पर्वत श्रेणी- धौलाधार पर्वत श्रेणी कांगड़ा जिला में एक दीवार की भांति है। इन श्रेणियों को रावी नदी चम्बा के दक्षिण पश्चिम भाग तथा ब्यास नदी व सतलुज नदी क्रमशः लारजी तथा रामपुर के पास काटती है। धौलाधार का शाब्दिक अर्थ सफेद चोटी से है। धौलाधार पर्वत श्रेणी के कारण ही धर्मशाला में अधिक वर्षों होती है।
  • चडधार पर्वत श्रेणी- नाग टिब्बा या चुड़चादनी या चूड़धार पर्वत माता शिमला के उत्तर में स्थित हैं इसके पूर्व में मसूरी पर्वत माला है। इसी पर्वत श्रेणी में चूड़ चांदनी की चोटी 3647 मीटर ऊँचाई पर स्थित है।

हिमालय के इसी क्षेत्र  में  हिमाचल प्रदेश के कई स्वास्थ्यवर्द्धक व पर्यटक स्थान जैसे शिमला, हौजी, चायल, कसौली, धर्मशाला, पालमपुर आदि स्थित है।

3. उच्च या महान हिमालय (The Higher Or Great Himalayas):

यह श्रेणी पूर्व से पश्चिम की ओर लघु हिमालय तथा ट्रांस हिमालय के मध्य फैली है। इसकी औसत ऊचाई 5000-6000 मीटर तथा औसत चौडाई 60 कि.मी. के करीब है। यह स्पीति व ब्यास नदियों के अपवाह तंत्र को अलग करती है। इस क्षेत्र का विस्तार चम्बा, कल्लु, शिमला, किन्नौर तथा लाहौल-स्पीति जिलों में है। इस श्रेणी में कांगला (5248 मीटर), बारालाचा (4812 मीटर), कुन्जुमला (4551 मीटर) तथा पार्वती (4802मीटर) ऊँचाई वाले दरें है।

  • पीरपंजाल श्रेणी तथा ग्रेट हिमालयन श्रेणी इस क्षेत्र की प्रमुख पर्वत श्रेणियां है।
  • ये प्रमुख पर्वत श्रेणियाँ रावी तथा व्यास के नदी बेसिनों को दक्षिणी हिस्सों में जबकि चिनाब तथा स्पीति नदी के बेसिनो को अलग करती है।
  • महान हिमालय तथा पीर पंजाल इस क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण पर्वतीय श्रृंखला है।
  • ये कुंजम दर्रा तथा श्रीखंड पीर पंजाल तथा उच्च हिमालयन पर्वत श्रेणियों को आपस में जोड़ती है।
  • डिब्बी बोकरी गोऊठ (6400 मीटर) इस क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी है।

4. जांस्कर या ट्रांस हिमालयन क्षेत्र (Zanskar or Trans-Himalayan Region):

यह हिमालयन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के उत्तरी तथा उत्तरी पूर्वी हिस्से में स्थित है जो स्पीति तथा किन्नौर को तिब्बत से अलग करती है। इसकी चोटियों की औसत ऊँचाई 6000 मीटर से अधिक है। शिपकी दरें के निकट सतलुज नदी इस पर्वत श्रेणी को काटती हुई, हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। इस क्षेत्र में काफी संख्या में हिमनदियां स्थित है और इन्हें स्थानीय भाषा में ‘शिगड़ी’ (Shigri) कहा जाता है।

इस श्रेणी का भौगोलिक क्षेत्र चम्बा जिला के पांगी तहसील, लाहौल-स्पीति तथा किन्नौर जिले में विस्तृत है। इसकी कुल–चौड़ाई 80 कि.मी. के लगभग है। इस भू–भाग में उच्च पर्वत श्रेणियों के कारण मानसून पवनों का प्रभाव है। दक्षिणी पश्चिमी मानसून पवनें इन पर्वतों को पार करने में सफल नहीं होती है। जिस कारण यह क्षेत्र वर्षा छाया क्षेत्र (Rain Shadow Area) बन गया है।

जांस्कर श्रेणी में कई ऊँची-ऊँची चोटियां है-इनमें शिल्ला (7026 मीटर) रीवों फग्युर्ल (6791 मीटर) तथा शिपकी (6608 मीटर) प्रमुख है।

  • इस क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश की सबसे ऊँची चोटी शिल्ला (7026 मीटर) स्थित है।
  • हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़ा हिमनद का नाम ‘बड़ा शिगड़ी‘ है।

 

 

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