The Prime Minister of India

भारत के प्रधानमंत्री (The Prime Minister of India)

The Prime Minister


संसदीय शासन प्रणाली में प्रधानमंत्री का पद सर्वाधिक महत्वपूर्ण पद होता है, क्योंकि राष्ट्रपति केवल नाममात्र का प्रधान होता है, शासन की वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री के ही हाथ में होती है। वही मंत्रिपरिषद् का निर्माण और उसका संचालन करता है।

लार्ड मार्ले (Lord Marley) के अनुसार, ” प्रधानमंत्री  मंत्रिपरिषद् की नींव का पत्थर है “ क्योंकि जिस समय प्रधानमंत्री अपने पद से त्यागपत्र दे देता है या उसकी मृत्यु हो जाती है, उसी समय मंत्रिपरिषद् का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।

प्रधानमंत्री की नियुक्ति (Appointment of Prime Minister):

संविधान के अनुच्छेद 75 (1) के अनुसार प्रधामंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा, किन्तु राष्ट्रपति की यह शक्ति वैवेकीय नहीं है। राष्ट्रपति  उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जिसे लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त हो।

प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति को संसद के किसी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) का सदसय होना चाहिए यद्यपि भारत में प्रधानमंत्री आम तौर पर लोकसभा का सदस्य होता है किन्तु संवैधानिक रूप से ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि वह लोकसभा का ही सदस्य होगा।

श्रीमती इन्दिरा जब पहली बार (1966 में) प्रधानमंत्री बनीं थीं तब वह राज्य सभा की सदस्य थी। डॉ. मनमोहन सिंह भी असम से  राज्य सभा सदस्य थे।

कोई व्यक्ति जो संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं है प्रधानमंत्री नियुक्त हो सकता है किन्तु उसे 6 माह के भीतर संसद के किसी सदन का सदस्य निर्वाचित होना आवश्यक है। यदि वह इस अवधि के भीतर संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं बन पाता है तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा।

राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति में निर्णायक मत-

  • जब लोकसभा में किसी भी दल या दलीय गठबन्धन को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो।
  • जब बहुमत वाले दल या दलीय गठबन्धन में कोई निश्चित नेता न हो या दो समान रूप से प्रभावशाली नेता हो।
  • जब राष्ट्रपति लोकसभा भंग कर कुछ समय के लिए किसी को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दें।
  • लोक सभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर।

प्रधानमंत्री की पदावधि (Term of Office of Prime Minister):

प्रधानमंत्री की पदावधि के बारे में निम्न बाते प्रमुख है-

  • मुख्यत प्रधानमंत्री की पदावधि 5 साल है। लेकिन वह इसके पहले भी राष्ट्रपति को त्याग पत्र देकर पदमुक्त हो सकता है।
  • प्रधानमंत्री तब तक अपने पद पर बना रह सकता है जब तक उसे लोक सभा का विश्वास प्राप्त हो।
  • लोक सभा में अविश्वास प्रस्ताव के पास हो जाने पर भी उसे अपना त्यागपत्र देना पड़ता है या राष्ट्रपति द्वारा पदच्युत किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री के अधिकार और कार्य (Powers and Functions of P.M):

संविधान द्वारा समस्त कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित की गयी है, जिसका प्रयोग वह ‘मंत्रिपरिषद् (Council of Ministers) की सहायता से करता है। मंत्रिपरिषद् का प्रधान प्रधानमंत्री होता है। अतः व्यवहारिक रूप से प्रधानमंत्री ही भारतीय शासन प्रणाली का सर्वोच्च कार्यकारी अधिकारी होता है।
प्रधानमंत्री के अधिकार-

  • पद प्राप्ति के पश्चात मंत्रिपरिषद् का गठन करना प्रधानमंत्री का सबसे प्रमुख कार्य होता है।
  • मंत्रिपरिषद् के गठन के पश्चात् प्रधानमंत्री विभिन्न सदस्यों में विभागों का बंटवारा करता है। जिससे मंत्रिमण्डल का गठन होता है। मंत्रिमण्डल का गठन वह स्वविवेक से करता है।
  • वह किसी मंत्री से त्यागपत्र की मांग कर सकता है तथा किसी मंत्री को पदच्युत (discharged ) करने की राष्ट्रपति से सिफारिश भी कर सकता है।
  • मंत्रिमण्डल (Council of Ministers) की बैठक की अध्यक्षता तथा मंत्रिमण्डल की सभी कार्यवाहियों का संचालन प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है।
  • प्रधानमंत्री शासन के समस्त विभागों में समन्वय स्थापित करता है जिससे कि समस्त शासन एक इकाई के रूप में कार्य कर सके।
  • अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारतीय प्रधानमंत्री का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। विदेश नीति का निर्धारण प्रधानमंत्री के द्वारा ही किया जाता है।
  • प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद् का प्रधान होता है अतः प्रधामंत्री की मृत्यु, त्यागपत्र या पदच्युति के पश्चात मंत्रिपरिषद् का विघटन (Dissolution) हो जाता है।
  • प्रधानमंत्री नीति आयोग (Niti aayog) का अध्यक्ष होता था।
  • अनुच्छेद-78 के अनुसार प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि संघ के कार्यकलाप के प्रशासन सम्बन्धी या विधान सम्बन्धी मंत्रपरिषद के सभी विनिश्चय राष्ट्रपति को सूचित करे।

 

 

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