केंद्रीय मंत्रिपरिषद
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद को संघीय मंत्रि परिषद भी कहा जाता है। अनुच्छेद 53 में कहा गया है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के निहित होगी। अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) होगी, जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा।
- मंत्रिपरिषद् (Council of Ministers) प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और उपमंत्री इन सबका सामूहिक नाम है।
- मंत्रिमण्डल (Cabinet) केवल कैबिनेट मंत्रियों का एक समूह है। मंत्रिमण्डल आकार में छोटा, परन्तु महत्व की दृष्टि से बड़ा होता है, क्योंकि वही शासन की नीति का संचालन करता है।
मंत्रिपरिषद का गठन (Composition of council of ministers):
प्रधानमंत्री सहित सभी प्रकार के मंत्रियों (कैबिनेट, राज्य एवं उपमंत्री) के समूह को ‘मंत्रिपरिषद (Council of Ministers)’ कहा जाता है। मंत्रिपरिषद् की रचना विभिन्न चरणों में की जाती हैं-
- अनुच्छेद 75(1) के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करेगा।
- लोकसभा में जिस दल का स्पष्ट बहुमत होगा, उसी के नेता को राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा।
- मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की परामर्श पर करता है।
- अनुच्छेद 75(5) के अनुसार मंत्रिपरिषद् का सदस्य बनने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति संसद (लोक सभा व् राज्य सभा) के किसी सदन का सदस्य हो। यदि कोई व्यक्ति मंत्री बनते समय संसद का सदस्य नहीं है तो इसे 6 महीने के अन्दर संसद सदस्य बनना अनिवार्य है। वह ऐसा करने में असफल रहता है तो उसे अपना पद छोड़ना होगा।
- प्रधानमंत्री सहित प्रत्येक मंत्री को राष्ट्रपति के समक्ष पद और गोपनीयता की शपथ लेनी होती हैं।
मंत्रियों के प्रकार (Types of ministers):
1. कैबिनेट मंत्री (Cabinet Ministers)
2. राज्य मंत्री (Minister of State)
3. उपमंत्री (Deputy Ministers)
1. कैबिनेट मंत्री (Cabinet Ministers): कैबिनेट (केबिनेट मंत्रियों का समूह) भारत के प्रशासन की सर्वोच्च इकाई है। यही सरकार की नीतियों का संचालन करती है। इसके सदस्य अपने विभागों के अध्यक्ष होते हैं। कैबिनेट मंत्री को सहायता देने के लिए राज्य मंत्री तथा उपमंत्री की नियुक्ति की जाती है।
2. राज्य मंत्री (Minister of State): राज्य मंत्री को किसी विभाग का स्वतंत्र प्रभार भी दिया जा सकता है।
3. उपमंत्री (Deputy Ministers): उपमंत्री, कैबिनेट मंत्री तथा राज्य मंत्री की सहायता करते हैं। ये मंत्रिमण्डल की बैठक में भाग नहीं लेते।
सामूहिक उत्तरदायित्व (Collective responsibility):
अनुच्छेद 75(3) के अनुसार ‘मंत्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होंगे। इसका तात्पर्य यह है कि किसी मंत्री के कार्य के लिए वह अकेला उत्तरदायी नहीं होगा, बल्कि उसके कार्य के लिए सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद् उत्तरदायी होगा। इसी प्रकार सभी मंत्री एक-दूसरे के कार्यों के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसी को सामूहिक उत्तरदायित्व (Collective Responsibility) कहा जाता है।
- मंत्रिपरिषद् के किसी एक सदस्य के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है तो उस दशा में सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद् को अपना त्यागपत्र देना होता है।
- मंत्रिपरिषद् में कोई निर्णय ले ले तो सभी मंत्रियों को उसका समर्थन करना चाहिए। यदि कोई मंत्री उस निर्णय से असहमत है तो उसे त्यागपत्र दे देना चाहिए। क्योंकि मंत्रिपरिषद् का सदस्य होते हुए वह उस प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान नहीं कर सकता है।
- लार्ड मार्ने के अनुसार, “मंत्रिपरिषद के सदस्य एक साथ तैरते हैं और एक ही साथ डूबते हैं “।
मंत्रिपरिषद् की कार्यप्रणाली (Functions of the Council of Ministers):
मंत्रिपरिषद् की ओर से मंत्रिमण्डल या कैबिनेट एक इकाई के रूप में कार्य करता है। इसकी बैठक प्रायः सप्ताह में एक बार होती है। लेकिन प्रधानमंत्री जब चाहे बैठक बुला सकता है।
- मंत्रिपरिषद् की बैठक में प्रधानमंत्री अध्यक्षता करता है और उसकी अनुपस्थिति में वरिष्ठ मंत्री अध्यक्षता करता है।
- मंत्रिपरिषद् की ओर से मंत्रिमण्डल (Cabinet) ही हर मामले पर निर्णय लेता है।
- सभी निर्णय एकमत से लिए जाते हैं। मतभेद की अवस्था में निर्णय बहुमत से लिये जाते हैं।
- कोई मंत्री इस निर्णय से सहमत नहीं होता तो उसे अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ता है।
कैबिनेट का कार्यकाल और योग्यता (Tenure and qualification of cabinet):
कैबिनेट का कार्यकाल लोकसभा के विश्वास पर निर्भर करता है क्योंकि अनुच्छेद 75(3) के अनुसार ‘मंत्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगा तथा लोकसभा में विश्वास खोने पर उन्हें त्यागपत्र देना पड़ता है।
- मंत्रिपरिषद् तभी तक अपने पद पर रहती है जब तब कि उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त हो।
- कोई भी मंत्री अधिक से अधिक लोकसभा के कार्यकाल तक, जो कि सामान्यतया 5 वर्ष होता है, अपने पद पर बना रहती है।
- किसी मंत्री का कार्यकाल प्रधानमंत्री का उसके प्रति विश्वास पर निर्भर करता है।
- लोकसभा का सदस्य बनने के लिए कम से कम 25 वर्ष पूर्ण होना चहिये।
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