Union and Its Territory

संघ और उसका राज्य क्षेत्र (Union and Its Territory)

संघ और उसका राज्य क्षेत्र


संविधान का भाग-1 अनुच्छेद 1 से 4 संघ और उसके राज्य क्षेत्रों के बारे में है।

  • अनुच्छेद-1:  भारत राज्यों का संघ है। अनुसूची 1 भारत के राज्यों और उसके राज्य क्षेत्रों को विनिर्दिष्ट करती है। भारत के राज्य क्षेत्रों में (i) राज्यों के राज्य क्षेत्र  (ii) संघ राज्य क्षेत्र तथा  (iii) ऐसे अन्य राज्य क्षेत्र जो अर्जित किये जायँ, सम्मिलित हैं। वर्तमान में भारतीय संघ में कुल 29 राज्य तथा 7 संघ राज्य क्षेत्र (Union territory) हैं। 
  • अनुच्छेद-2: संसद को संघ में नये राज्यों के प्रवेश या स्थापना करने के लिए विधि बनाने का अधिकार देता है। नये राज्यों के गठन या वर्तमान राज्यों के क्षेत्र, सीमा या नामों में परिवर्तन की शक्ति भी संसद को प्राप्त है।
  • अनुच्छेद-3: संसद साधारण बहुमत से किसी नये राज्य का गठन तथा किसी वर्तमान राज्य के क्षेत्र, सीमा या नाम में परिवर्तन कर सकती है। किन्तु इसके लिए सम्बन्धित विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश से ही संसद में प्रस्तुत किया जायेगा। यदि विधेयक किसी राज्य के क्षेत्र, सीमा या नाम में परिर्वतन से सम्बन्धित है तो राष्ट्रपति विधेयक को सम्बन्धित राज्य के विधानमण्डल को राय हेतु प्रेषित करेगा, किन्तु राष्ट्रपति या संसद विधानमंण्डल की राय से आबद्ध नहीं होंगे।
  • अनुच्छेद-4: संसद द्वारा अनुच्छेद-2 अथवा अनुच्छेद-3 के अन्तर्गत बनायी गयी विधि अनुच्छेद 368 के अधीन संविधान में संशोधन करने वाली विधि नहीं समझी जायेगी ।

भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन (Reorganization of states on linguistic basis):

स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की माँग के मद्देनजर संविधान सभा अध्यक्ष डा. राजेन्द्र प्रसाद ने 27 नवम्बर, 1947 को न्यायमूर्ति एस. के. धर(S.K.Dhar) की अध्यक्षता में चार सदस्यीय ‘भाषायी प्रान्त आयोग’ (Linguistic Provinces Commission) का गठन किया। आयोग ने 10 दिसम्बर, 1948 को प्रस्तुत अपने रिपोर्ट में ‘भाषा की जगह प्रशासनिक, भौगोलिक वित्तीय एवं विकास की सुविधा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का सुझाव दिया’। 



मद्रास राज्य के तेलुगु भाषियों के लिए भाषा के आधार पर अलग राज्य के गठन की माँग का समर्थन करते हुए पोट्टी श्री रामुल्लू ने आमरण अनशन आरम्भ कर दिया, जिनकी 56 दिनों बाद 15 दिसम्बर 1952 को मृत्यु हो गयी।फलस्वरुप प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने तेलुगु भाषियों के लिए अलग राज्य आन्ध्र प्रदेश के गठन की घोषणा कर दिया। जिसका गठन 1 अक्टूबर 1953 को किया गया। यह भाषायी आधार पर गठित होने वाला प्रथम राज्य था।

तेलुगु भाषियों के लिए पृथक राज्य के गठन के पश्चात अन्य भाषा-भाषियों की माँग भी तेज हो गयी, जिस पर विचार के लिए 1953 में न्यायमूर्ति फजल अली की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय ‘राज्य पुनर्गठन आयोग’ (The States Re-organization Commission) गठित किया गया। इस आयोग ने 30 दिसम्बर, 1955 को अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार सौंप दी। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम-1956 पारित किया गया। इस अधिनियम के अनुसार संविधान में 7वाँ संशोधन किया गया और मूल संविधान के राज्यों के चार श्रेणी, यथा- क, ख, ग तथा घ को समाप्त कर 14 राज्यों और 5 केन्द्र शासित प्रदेशों का गठन किया गया।

1954 में फ्रांसीसी उपनिवेश पाँडिचेरी, माहे, यनम और कारिकल को समझौते द्वारा अर्जित कर पॉण्डिचेरी का गठन किया गया था। 1961 में सैनिक कार्यवाही (ऑपरेशन विजय) द्वारा गोवा, दमन एवं द्वीव को पुर्तगालियों से मुक्त कराकर उसे 7वें संघ राज्य क्षेत्र का दर्जा दिया गया।

नये राज्यों का गठन (Formation of new states)

राज्य (प्रथक राज्य)  गठन वर्ष  राज्य संख्या 
आन्ध्र प्रदेश (मद्रास से प्रथक)   1953 ई.  
गुजरात (मुम्बई प्रान्त से प्रथक)  1960 ई. 15वाँ
नगालैंड (असम से प्रथक) 1963 ई. 16वाँ
हरियाणा (पंजाब से प्रथक) 1966 ई.
हिमाचल प्रदेश 1971 ई.
मेघालय मणिपुर, त्रिपुरा 1972 ई.
सिक्किम 1975 ई. 22वाँ
मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा  1987 ई. 23वाँ, 24वाँ, 25वाँ 
छत्तीसगढ़ 1 नवम्बर 2000 26वाँ
उत्तराखण्ड 9 नवम्बर 2000 27वाँ
झारखण्ड 15 नवम्बर 2000 28वाँ
तेलंगाना 2 जून 2014 29वाँ

 

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