क्या है अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 (What is Article 35A and Article 370)
राज्य सभा में एक बयान में, भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने सदन को ऐतिहासिक फैसले से अवगत कराया कि अनुच्छेद 370 का केवल खंड -1 ही रहेगा, अन्य सभी खंड समाप्त हो जाएंगे। सभी को जम्मू और कश्मीर से हटा दिया गया, और जम्मू और कश्मीर को दो भागों में विभाजित किया गया है: जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory)होगा जबकि लद्दाख एक अलग केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) बन जाएगा।
अमित शाह ने कहा कि “क्षेत्रफल के हिसाब से लद्दाख जम्मू और कश्मीर का एक बड़ा क्षेत्र है। लंबे समय से स्थानीय लोग केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए, इसे जम्मू और कश्मीर से अलग कर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।”
क्या है अनुच्छेद-35A (What is Article-35A):
राष्ट्रपति के आदेश से अनुच्छेद 35A को मई 1954 में संविधान में जोड़ा गया था। यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर विधानसभा को स्थायी नागरिक की परिभाषा (Definition of citizen) तय करने का अधिकार देता है।
- केवल उन नागरिकों को जिन्हें स्थायी घोषित किया गया है, केवल राज्य को संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने और विधानसभा चुनाव में मतदान करने का अधिकार है।
- यदि जम्मू और कश्मीर का निवासी राज्य के बाहर किसी से शादी करता है, तो वह इस नागरिकता को खो देगा।
- जिस आदेश में अनुच्छेद 35A को 1954 तक संविधान में जोड़ा गया था वह अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के तहत राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था।
क्या है अनुच्छेद-370 (What is Article -370):
अक्टूबर 1947 में, कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसियन (Instrument of Accession)’ पर हस्ताक्षर किए, जिसमें तीन विषयों को निर्दिष्ट किया गया था, जिस पर जम्मू और कश्मीर भारत सरकार को अपनी शक्तियाँ हस्तांतरित करेंगे:
- विदेशी मामले
- रक्षा
- संचार
मार्च 1948 में, महाराजा ने शेख अब्दुल्ला के साथ प्रधानमंत्री के रूप में राज्य में एक अंतरिम सरकार नियुक्त की। जुलाई 1949 में, शेख अब्दुल्ला और तीन अन्य सहयोगी भारतीय संविधान सभा में शामिल हुए और जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति पर बातचीत की, जिससे अनुच्छेद 370 को अपनाया गया। विवादास्पद प्रावधान का मसौदा शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था।
- इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।
- अनुच्छेद 370 के कारण, राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।
- जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) है।
- भारत की संसद जम्मू और कश्मीर के संबंध में बहुत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
- इसके तहत जम्मू और कश्मीर का राष्ट्रीय ध्वज अलग होता है। वहां के नागरिकों के लिए भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है।
- अनुच्छेद 370 के तहत, अन्य राज्यों के नागरिक जम्मू और कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं। अनुच्छेद 370 के तहत, केंद्र के पास वित्तीय आपातकाल घोषित करने की कोई शक्ति नहीं है।
- जम्मू और कश्मीर के निवासियों के नागरिकता, संपत्ति के स्वामित्व और मौलिक अधिकारों (fundamental rights) का कानून, शेष भारत में रहने वाले निवासियों से अलग है।
- अनुच्छेद 370 को हटाना, जो कि राष्ट्रपति के आदेश से हो सकता है, स्वतंत्र भारत का अभिन्न अंग बना देगा।
अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद क्या बदलाव होंगे (What will happen after the end of Article 370):
- जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा समाप्त कर के अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश (union territories) के रूप में जाना जाएगा।
- केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख में नहीं होगी विधानसभा (Legitative Assembly)।
- राज्य के सभी विशेषाधिकार खत्म कर के केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित विकास योजनाएं और अन्य कानून भी सभी राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में भी लागू किए जाएंगे।
- दूसरे राज्यों के व्यक्ति भी कश्मीर में काम कर सकेंगे।
- अनुच्छेद 370 के हटने के बाद दूसरे राज्यों के लोग कश्मीर में संपत्ति खरीद और बेच सकेंगे।
- अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के बाद, भारतीय संविधान जम्मू और कश्मीर में भी लागू होगा।
- अनुच्छेद 370 में कश्मीर की महिला को अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह करने पर संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता था और उसकी वहाँ की नागरिकता भी समाप्त हो जाती थी, किंतु अनुच्छेद 370 की समाप्ति के पश्चात, यह प्रावधान भी समाप्त हो जाएगा।
- जम्मू-कश्मीर में दोहरी नागरिकता का अंत।
- अब जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को भी भारत में लागू आरक्षण का लाभ मिलेगा। पहले उन्हें आरक्षण की सुविधा नहीं मिलती थी।
we will update a post after new rules are declared…
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