Important questions in Ecology and Ecosystem

Important questions in Ecology and Ecosystem

Ecology and Ecosystem (पारिस्थितिकी और पारिस्थितिकी तंत्र)


पारिस्थितिकी (Ecology) पारिस्थितिकी का जनक हेकल (Heckle) को माना जाता है। किसी भी जीव या जीव समूह का उनके पर्यावरण के साथ सम्बन्ध स्थापित करने का अध्ययन् पारिस्थितिकी (Ecology) कहलाता है। पारिस्थितिकी के दो प्रकार होते हैं। जिन्हें क्रमशः स्वपारिस्थितिकी और समुदाय पारिस्थितकी कहा जाता है।

स्वपारिस्थितिकी (Autecology):

जब किसी एक जीव या एक जाति का उनके पर्यावरण के साथ सम्बन्ध स्थापित करने का अध्ययन किया जाता है उसे स्वपारिस्थितिकी कहा जाता है।



समुदाय पारिस्थितिकी (Synecology):

इसके अन्तर्गत जीव समूह का उनके पर्यावरण के साथ सम्बन्ध स्थापित करने  का अध्ययन समुदाय पारिस्थितिकी कहलाता है।

पारिस्थितिकी तन्त्र (Ecosystem):

‘पारिस्थितिकी तन्त्र शब्द को सर्वप्रथम 1935 में ए. जी. टान्सले (A.G. Tonsley) ने प्रतिपादित किया। ‘समुदाय व वातावरण  के पारस्परिक संरचनात्मक तथा कार्यात्मक सम्बन्धों को पारिस्थितिकी तन्त्र (Ecosystem) कहते हैं।

पारिस्थितिकी तन्त्र के 2 घटक होते हैं- जीवी घटक (Biotic Component) तथा अजीवी या भौतिक (Physical or Abiotic Component) घटक।

खाद्य श्रृंखला (Food Chain):

विभिन्न प्रकार के जीवों का वह क्रम, जिसमें एक प्रकार के जीव दूसरे प्रकार के जीवों का भक्षण करते हैं तथा स्वतः दूसरे प्रकार के जीवों द्वारा खाये जाते हैं, खाद्य श्रृंखला कहलाती है। जैसे– ‘घास पारिस्थितिकी’ में घास (Grass) को टिड्डियाँ खाती हैं, टिड्डियों को मेढ़क, मेढ़क को सर्प, सर्प को चील या गिध खाते हैं। इसी तरह ‘वन पारिस्थितिकी’ में- पादपों को हिरण खरगोश, इन्हें, भेड़िया, भेड़िया को शेर खाते हैं। इस पूरी खाद्य श्रृंखला में प्रत्येक सोपान पर 10% ऊर्जा व्यय होती है।

दस प्रतिशत का नियम (Ten percent law):

इस नियम को वैज्ञानिक लिंडेमान (Lindeman) ने दिया। इस नियम के अनुसार किसी भी आहार श्रृंखला में ऊर्जा का वितरण दस प्रतिशत नियम के आधार पर होता है। दस प्रतिशत नियम के आधार पर सर्वाधिक लाभ उत्पादक और प्राथमिक उपभोक्ता को जबकि सबसे कम लाभ उच्च उपभोक्ता या अपघटक को होता है।

खाद्य जाल (Food Web):

Food Web

प्रकृति में खाद्य श्रृंखलाएं अकेली तथा असम्बद्ध नहीं होतीं, अपितु ये परस्पर जुड़ी हुई होती हैं। पारिस्थितिकी तन्त्र में ये खाद्य श्रृंखलाएं आपस में जुड़कर जाल (Webor Net-Work) नुमा रचना बनाती हैं, जिसे ‘खाद्य जाल’ (Food Web) कहते हैं। यही खाद्य जाल पारिस्थितिकी तन्त्र को स्थायित्व प्रदान करता है। अर्थात् खाद्य जाल जितना विशाल होगा, पारिस्थितिकी तन्त्र का स्थायित्व उतना ही अधिक होगा।

महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points):

  • किस शैवाल से ‘आयोडीन लवण’ प्राप्त होता है ? – केल्प शैवाल 
  • किस शैवाल को समुद्री सलाद के रूप में जाना जाता है ? – अल्वा (Ulva) शैवाल
  • अन्तरिक्ष यात्री किस शैवाल का प्रयोग भोजन एवं ऑक्सीजन के लिए करते हैं ? – क्लोरेला (Chlorella)
  • किस शैवाल का प्रयोग ‘डायनामाइट’ बनाने में होता है ? – डाएटम (Diatom)
  • किस कवक को ‘साँप की छतरी’ कहते हैं ? – मशरूम 
  • ‘माइकोलॉजी’ (Mycology) का सम्बन्ध किससे है ? – कवक के अध्ययन से।
  • वे कवक, जो सड़े-गले एवं मृत कार्बनिक पदार्थों से भोजन प्राप्त करते हैं, कहलाते हैं ? – मृतजीवी (Saprophyte)
  • ‘साबूदाना’ की प्राप्ति किस वनस्पति से होती है ? – साइकस (Cycas)
  • दमा की औषधि- इफेड्रीन किस पौधे से प्राप्त होती है ? – इफेड्रा 
  • ‘सल्फर वर्षा’ (Sulpher Shower) कहाँ होती है ? – पाइन के जंगलों में 
  • सर्वाधिक जंगल किस वर्ग की वनस्पतियों के हैं ? – जिम्मोस्पर्म (Gymnosperm)
  • ‘फर्न’ किस वर्ग का पौधा है ? – टेरिडोफाइटा
  • ‘अमोनिया’ को ‘नाइट्राइट’ में बदलने का काम कौन सा जीवाणु करता है ? – नाइट्रोसोमोनास 
  • सबसे छोटा पुष्पी पौधा कौन-सा है ? – बुल्फिया (Woulfia)

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