भारत का राष्ट्रपति
भारत में संघीय कार्यपालिका (Union Executive) का प्रधान राष्ट्रपति होता है तथा संघ की सभी कार्यपालिका राष्ट्रपति के निहित है, जिसका प्रयोग वह संविधान के अनुसार स्वयं या, अधीनस्थ पदाधिकारियों के माध्यम से करता है।
राष्ट्रपति का निर्वाचन (Election of President):
अनुच्छेद 54 के अनुसार राष्ट्रपति का निर्वाचन ऐसे ‘निर्वाचक मण्डल’ द्वारा किया जायेगा जिसमें संसद के दोनों सदनों ( लोक सभा तथा राज्य सभा) के निर्वाचित सदस्य (elected members) तथा राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य होंगे।
- 70वें संविधान संशोधन (1992) द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा ‘पांडिचेरी‘ संघ शासित राज्य के विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों को भी राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में शामिल कर लिया गया है।
- राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में संसद तथा राज्यों की विधान सभाओं (Legislative assemblies) के मनोनीत सदस्यों (Nominated members) और राज्य विधान परिषद के सदस्यों को शामिल नहीं किया गया है।
चुनाव का तरीका (Manner of Election):
राष्ट्रपति का चुनाव ‘अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली (Indirect election system)’ द्वारा किया जाता है। अनुच्छेद 55 में राष्ट्रपति को निर्वाचन की अनुमति दी गयी है। राष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित अन्य बातें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम-1952 में दी गयी हैं। अनुच्छेद 55 के अनुसार राष्ट्रपति का निर्वाचन “आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति (Proportional Repersentation System) के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable vole System) द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा तथा यथासम्भव विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व के मापमान में एकरूपता (Uniformity) रखी जायेगी।
राष्ट्रपति के निर्वाचन में निम्न दो सिद्धान्तों को अपनाया जाता है-
1. आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति (Proportional Repersentation System): सभी राज्यों के निर्वाचित विधान सभा सदस्यों के मतमूल्य के निर्धारण के लिए एक ही प्रक्रिया अपनायी जायेगी तथा सभी राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मतमूल्य का योग, संसद के दोनों सदनों के सभी निर्वाचित सदस्यों के मतमूल्य के योग के समतुल्य अर्थात् समान होगा। इसे अधोलिखित सूत्र द्वारा दर्शित दिया जाता है।
- राज्य की विधान सभा के एक सदस्य का मत मूल्य = राज्य की कुल जनसंख्या/निम्न सदन के कुल निर्वाचित सदस्यों की संख्या X 1000
2. एकल संक्रमणीय मत प्रणाली सिद्धान्त (Single Transferable vote system): इस सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक मतदाता उतने मत वरीयता क्रम से देगा जितने प्रत्याशी हैं अर्थात् प्रत्येक मतदाता, प्रत्येक प्रत्याशी को अपना मत वरीयता क्रम के अनुसार मत देता है। यदि कुल तीन प्रत्याशी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे हैं तो मतदाता तीनों प्रत्याशियों को प्रथम, द्वितीय था तृतीय वरीयता क्रम के अनुसार अपना मत देगा।
- संसद के एक सदस्य का मत मूल्य = सभी राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मत मूल्य का योग / संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों की संख्या
मतगणना (Counting):
राष्ट्रपति पद के चुनाव में मतगणना के लिए एक विशेष प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रपति पद के लिए उसी व्यक्ति को सफल घोषित किया जाता है जो कुल वैध मतों के आधे से कम से कम एक मत अधिक अर्थात 50% से अधिक प्राप्त करता है। इसे न्यूनतम कोटा कहा जाता है।
- न्यूनतम कोटा = (कुल पड़े वैध मत / 2) +1
मतगणना के समय सबसे पहले प्रथम वरीयता के मतों की गणना की जाती है। यदि कोई प्रत्याशी न्यूनतम कोटा प्राप्त कर लेता है, तो उसे सफल घोषित कर दिया जाता है। यदि कोई भी उम्मीदवार न्यूनतम कोटा प्राप्त नहीं करता तो द्वितीय चक्र की गणना प्रारम्भ की जाती है।
इसमें सबसे कम मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को स्पर्धा से बाहर कर उसके मतपत्रों के द्वितीय वरीता के मतों की गणना की जाती है तथा उसे अन्य उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त प्रथम वरीयता के मतों में जोड़ दिया जाता है। यदि द्वितीय चक्र की गणना के बाद भी कोई उम्मीदवार न्यूनतम कोटा प्राप्त नहीं कर पाता है तो उक्त प्रक्रिया पुनः दुहराई जाती है और वह तब तक चलती है जब तक किसी उम्मीदवार को न्यूनतम कोटा प्राप्त नहीं हो जाता है।
राष्ट्रपति पद के लिए योग्यता (Qualification for presidency):
अनुच्छेद 58 के अन्तर्गत राष्ट्रपति पद के लिए निम्नलिखित योग्यतायें हैं-
- वह भारत का नागरिक हो।
- वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
- लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।
- ऐसा कोई व्यक्ति जो भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, राष्ट्रपति पद के लिए योग्य न होगा।
- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल और संघ अथवा राज्यों के मंत्रियों के पद को लाभ का पद नहीं माना जाता है।
- राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का नाम कम से कम 50 मतदाओं द्वारा प्रस्तावित और 50 मतदाओं द्वारा अनुमोदित होना चाहिए (1998 से पूर्व यह संख्या 10-10 थी।)।
- राष्ट्रपति पद के लिए जमानत की राशि 15000 रु. है।
- किसी उम्मीदवार द्वारा कुल वैध मतों का 1/6 भाग मत प्राप्त न करने पर उसकी जमानत की राशि जब्त हो जाती है।
- राष्ट्रपति संसद अथवा राज्य विधानमण्डल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होगा। यदि निर्वाचन के पूर्व वह इनका सदस्य है तो निर्वाचन की तिथि से उसका स्थान उस सदन से रिक्त समझा जायेगा।
- अनुच्छेद 57 में कहा गया है कि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति पद पर पुनर्निर्वाचन (Re-election) के लिए योग्य है किन्तु वह कितनी बार राष्ट्रपति चुना जा सकता है इस प्रश्न पर संविधान मौन है।
- अनुच्छेद 59 में कहा गया है की राष्ट्रपति अपने कार्यकाल की अवधि में कोई अन्य पद ग्रहण नहीं कर सकता।
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