भारत सरकार अधिनियम ( The government of India Act or Montagu Chelmsford Reforms )- 1919
भारत सरकार अधिनियम, 1909 भारतीयों के स्वशासन की माँग को पूर्ण न कर सका। साम्प्रदायिक आधार पर मतदान प्रणाली की नीति से उत्पन्न असंतोष, 1916 में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के मध्य समझौता, 1916-17 में प्रकाशित मेसोपोटामियाँ आयोग की रिपोर्ट जिसमें अंग्रेजों को भारत में शासन के लिए अक्षम बताया जाना, होमरुल आन्दोलन से भारतीयों में जागृत, राष्ट्रीय चेतना तथा प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सहयोग की अपेक्षा के मद्देनजर तत्कालीन भारत सचिव ‘मोन्टेग्यू ने 20 अगस्त 1917 को ब्रिटिश सरकार के प्रस्तावित सुधारों की घोषणा की, जिसमें सर्वप्रथम भारत को स्वतंत्र डोमीनियन (स्वशासन) की स्थिति प्रदान करने की बात कहीं गयी थी। इसके पश्चात मोन्टेग्यू भारत आये और गवर्नर जनरल चेम्सफोर्ड तथा अन्य नेताओं से शिमला में विचार विमर्श किया। तदोपरान्त जुलाई 1918 में मोन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट प्रकाशित करी गयी। इस संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर ही ”भारत शासन अधिनियम, 1919” पारित किया गया।
इस अधिनियम में सर्वप्रथम ‘उत्तरदायी शासन’ शब्द का स्पष्ट प्रयोग किया गया था।
• 1793 से भारत सचिव का खर्च भारत के राजस्व से दिया जाता था। अब यह खर्च ब्रिटिश राजस्व से दिये जाने का प्रावधान किया गया।
• भारतपरिषद के सदस्यों की संख्या न्यूनतम-8 तथा अधिकतम 12 निश्चित की गयी तथा भारत सचिव की सहायता के लिए हाई कमिश्नर’ की नियुक्ति की गयी।
• इस अधिनियम के द्वारा महिलाओं को भी मताधिकार दिया गया।
• इस अधिनियम के केन्द्र में द्विसदनात्मक विधायिका स्थापित की गयी। अर्थात् केन्द्रीय विधान परिषद का स्थान राज्य परिषद’ (उच्च सदन) तथा ‘विधान सभा (निम्न सदन) वाले द्विसदनात्मक विधानमण्डल ने ले लिया।
• दोनों सदनों की शक्तियां समान थी किन्तु बजट पर स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार सिर्फ विधान सभा को था।
• 1919 ई0 के एक्ट की मुख्य विशेषता प्रान्तों में द्वैध-शासन (Dyarchy) की स्थापना थी। इसके लिए केन्द्रीय और प्रान्तीय विषयों को पृथक् किया गया था।
• 1 अप्रैल, 1921 ई0 से द्वैध-शासन बंगाल, मद्रास, बम्बई, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, उड़ीसा, मध्य-प्रदेश और असम में आरम्भ किया गया। 1923 में बर्मा विधान परिषद् और 1932 ईo में जब उत्तर-पश्चिमी सीमा-प्रान्त की स्थापना हुई तब उसे भी द्वैध-शासन में सम्मिलित किया गया।
• द्वैध शासन(Dyarchy) के जन्म दाता लायोनिल कार्टिस थे।
• इस अधिनियम ने भारत में एक लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया तथा भारत सचिव को भारत में महालेखा परीक्षक की नियुक्ति का अधिकार दिया।
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